तब मुशर्रफ अब रब्बानी
वो जनाना - ये ज़नानी,
देखो यारों सम्हल के रहना
कहीं निकल न जाए नानी...
कई लोग टपकाते दिखते
अपने - अपने मुंह से पानी,
पर हो सकती मीठी छूरी
मत भूलो है पाकिस्तानी,
प्यार-प्यार से काट जाएगी
जीभ और गर्दन दोनों जानी...
वो जनाना - ये ज़नानी,
देखो यारों सम्हल के रहना
कहीं निकल न जाए नानी...
कई लोग टपकाते दिखते
अपने - अपने मुंह से पानी,
पर हो सकती मीठी छूरी
मत भूलो है पाकिस्तानी,
प्यार-प्यार से काट जाएगी
जीभ और गर्दन दोनों जानी...
लोगों को सावधान करने के लिए शुक्रिया......
जवाब देंहटाएंचर्चित जी,ऐसे ही जागरूकता फैलाते रहिएगा...
अच्छी रचना.......
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है....
सतर्क रहना ही चाहिए
जवाब देंहटाएंbilkul sahi hidaayat...
जवाब देंहटाएंZakhm dene ka andaaz kuchh aisa hai,
Zakhm de kar poochhte hai_n ab haal kaisa hai...