मंगलवार, मार्च 30, 2021

चर्चित की मानो नशा मत ही छानो...

होली का रंग है
मिली इसमे भंग है
बुरा मानना मत
निश्छ्ल उमंग है

पीकर के पौवा
बना शेर कौवा
नशे मे खड़ा कर
दिया एक हौवा

किसी का दुपट्टा
जो लै भागा पट्ठा
दिया खींच करके
है गोरी ने चट्ठा

फिर भी न हारा
कीचड्‍ दे मारा
कहा प्राणप्यारी
मैं प्रियतम तुम्हारा

वो बोली जाओ
हमें ना फंसाओ
उल्लू हो उल्लू
मुंह धो के आओ

बड़ा ढीठ बंदा
पकड़ करके कंधा
पहलवान माइन्ड
दिया एक रंदा

गर्दन अकड़ गई
चंडी सी चढ़ गई
बाला तो हाय कर
वहीं सीधी पड़ गई

जनता इकट्ठी
लिये हाथ लट्ठी
मजनूं की गीली
हुई अब तो चड्ढी

बड़ी मार खाई
पड़ा चारपाई
मुहब्बत ने हड्डी
की भूसी बनाई

सबक ये मिला है
कि जो मनचला है
उसी का मुसीबत
में हरदम गला है

चर्चित की मानो
नशा मत ही छानो
नहीं तो फंसोगे
बुरे खूब जानो...

/// होली मुबारक ///

- विशाल चर्चित

रविवार, मार्च 28, 2021

जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा...

हमने फेंका गुब्बारा है भरके कई रंग
आओ होली खेलें दोस्तों शुभकामना के संग
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......

खुशियों की अबीर बरसे और बरसे ढेरों प्यार
जीवन में सबके हो हमेशा हँसती हुई बहार
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......

जो, जो चाहे - वो, वो पाये, कोई चाहत ना बच पाये
जब देखें-जिसको देखें हम - हँसता हुआ नजर आये
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......

धन-दौलत-इज्जत-शोहरत, कहीं कमी कोई ना हो
हे ईश्वर, कुछ ऐसा कर कि दीन दुखी कोई ना हो
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......

सभी जगह हो अमन - चैन, एकता औ भाईचारा हो
सभी दिलों में मानवता - नैतिकता का बोलबाला हो
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......

'चर्चित' की है चाह यही, हरा - भरा सुखमय संसार
यही कुदरती रंग है सच्चा, होली का असली शृंगार
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......

एक बार फिर से -

/////// होली बहुत - बहुत मुबारक ///////

- विशाल चर्चित

गुरुवार, मार्च 25, 2021

बीत गयी लॉकडाउन की महाकाली वर्षगाँठ...

alt="LOCKDOWNANNIVERSARY"

बीत गयी लॉकडाउन की
महाकाली वर्षगाँठ,
इससे जुड़ी हरेक याद
बन गयी है हृदय पर
जैसे मजबूत गाँठ...

इसमें ही बहुत सारा
कामकाज गया,
अर्थव्यवस्था का
एक बड़ा हिस्सा गया,
तमाम लोग जान
से भी गये,
लॉकडाउन भी गया
पर कोरोना नहीं गया,
और लगता है ऐसा
कि दो-चार साल अभी
जायेगा भी नहीं...

इसका कारण है -
केन्द्र व्यस्त है
पांच राज्यों के चुनाव में,
विपक्ष व्यस्त है मोदी पर
सिर खुजाव में,
अफसर व्यस्त हैं इधर - उधर
खिचड़ी पकाव में...

अमीर जनता मस्त है
छुट्टी मनाई में,
मनोरंजन कराई में,
मध्यम वर्ग व्यस्त है
माहौल पर चर्चा कराई में,
और गरीब मजदूर व्यस्त हैं
सिर पिटाई में,
हाय - हाय कराई में...

व्यापारी कंपनियाँ व्यस्त हैं
लूट और महँगाई में,
अस्पताल और फार्मावाले
व्यस्त हैं मौका भुनाई में...

जाँच की किट ऐसी कि
जो भी आये
कोरोना पॉजिटिव हो जाये,
देखने में भले ही
हो तगड़ा-हट्टा-कट्टा,
पर डर का कीड़ा उसमें भी
ऐक्टिव हो जाये...

अच्छा होगा अब से भी जो
सारे होश में आ जायें,
कामकाज - अर्थव्यवस्था
यानी देश पटरी पर आ जाये,
वर्ना कहीं ऐसा ना हो कि
जनता सड़कों पर आ जाये,
लोकतंत्र की हत्या करके
साम्यवाद वो ले आये...

- विशाल चर्चित

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शुक्रवार, मार्च 19, 2021

एक चिड़िया कह रही थी...

alt="BIRDTALKING"
एक चिड़िया कह रही थी
ओ मनुज तू भी न उड़,
हमको उड़ती देखकर
तू तो न जल - तू तो न कुढ़...

तू रहे महलों में
सोये तू बढ़िया पलंग पर,
तो हमने कभी कुछ कहा क्या?
तेरी पकवानों की थाली पर
ध्यान हमारा रहा क्या?
देख तू भी स्वार्थ में
अंधा न हो - ऐसे न मुड़...

तू कहाँ सत्तर किलो का
और हम सत्तर ग्राम के,
तू कहाँ इतना है भारी
हम तो केवल नाम के,
हमको पुरवाई है काफी
तुझको आंधी भी है कम,
इसलिए बेकार में
क्यों करे है फुर्र - फुर्र...

ना तो तू कोई बाज-गिद्ध
ना कोई तू सांप है,
जिसने तुझको अक्ल दी
वो ऊपर बैठा बाप है,
अहं तज - शुभ कर्म कर
हमसे न जुड़- उससे तो जुड़...

- विशाल चर्चित

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सोमवार, मार्च 15, 2021

चाय तू व्हिस्की न बन - उसकी तरह बिजली न बन...


चाय तू व्हिस्की न बन
उसकी तरह बिजली न बन,
उसकी देखा-देखी तू भी
उस सी ज़हरीली न बन...

तू कहाँ मीठी ओ भोली
और वो छप्पन छुरी,
तू है अच्छी हर तरह से
जबकि वो आगे बुरी...

ताज़गी दे तू जगाती
जबकि वो तो नींद लाती,
एक तू कि होश लाती
एक वो पागल बनाती...

फिर भी कहता हूँ कि
उसके चक्करों से दूर रह,
ऐसा ना हो कि कभी
तू भी नशे में चूर हो..

देख मैं एक आम इंसाँ
कप ओ प्याले कम ही हैं,
ये न हो तेरी वजह से
वो भी चकनाचूर हों..

ये न हो कि श्रीमतीजी
सौतन तुझे घोषित करें,
मायके से सेना लेकर
युद्ध वो घोषित करें...

इसलिए चर्चित की विनती
जैसी तू वैसी ही रह,
नाज़-नखरे-जादू-टोने
दुनियादारी से परे
तू तो मेरी सबसे अच्छी
प्यारी बच्ची जैसी रह...

- विशाल चर्चित

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रविवार, मार्च 14, 2021

'मृगमरीचिका' में ही जीवन सत्यानाश न हो...

ALT="ONESIDEDLOVE"

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मंगलवार, मार्च 02, 2021

पक ही जाती है 'इश्किया खिचड़ी'...

alt='ISHQIYA_KHICHADI'
चूल्हा यहाँ पर
पतीला वहाँ पर,
फिर भी पक ही
जाती है
'इश्किया खिचड़ी',
जिससे आ जाता है
जायका ज़िन्दगी में,
और लगती है चलने
जैसे कि फिसली...

एक का चावल
दूसरे की दाल,
मुलाक़ात हो तो
तड़का कमाल...

कभी आ ही जाती है
बातों में मिर्ची,
कभी हो ही जाती हैं
नज़रें भी तिरछी...

कुछ खोजते हैं तब
तोहफ़े की लस्सी,
तो कुछ ढूंढते
आत्महत्या की रस्सी...

- विशाल चर्चित 
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