न जाने कौन से वो दिल हैं जो
दिलों के चीथड़े उड़ाया करते हैं,
इधर उज़ड़ती हैं जिंदगियां
उधर ठहाके लगाया करते हैं....
वो आंखें हैं कि शीशा हैं
कि उनमें मर चुका पानी,
इधर होता है अँधेरा
उधर वो जश्न मनाया करते हैं...
न जाने क्या वो खाते हैं
न जाने क्या वो पाते हैं
न जाने कौन सी दुनिया से
वो आया - जाया करते हैं...
मिले जो ईश्वर तो उससे
होगा ये सवाल अपना
कि पैदा होते ही ये दरिन्दे
क्यों नहीं मर जाया करते हैं...
badiya panktiyan....vishal ji badhai swikaren.....
जवाब देंहटाएंऐसे प्रश्न सबके दिल में उठते हैं आपने शब्दों में उकेरा..
जवाब देंहटाएंआभार..
Inn sawalon ke jawab to shayad bhagwan ke paas bhi nahin honge...
जवाब देंहटाएंWell written, Mr. Vishal