सोमवार, जुलाई 23, 2012

अलग - अलग मुहब्बत, अलग अलग तरीके....


   हर कोई मुहब्बत का अलग तरीका अपनाता है
   जिसका जितना दिमाग है उतना लगाता है,
                                     पहलवान की खोपड़ी पर जब मुहब्बत चर्राती है
                                     प्रेमिका की अक्सर कोई नस उखड जाती है....
  प्रेम में डूबा अध्यापक पूरी पीएचडी डालता है
  छींके भी प्रेमिका तो व्याख्या कर डालता है....
                                     मुहब्बत में अक्सर डॉक्टर मरीज़ हो जाता है
                                     बात-बात पर खुद को दिन भर आला लगता है....
  ज्योतिषी का दिल प्रेम में जब कुलांचे मारता है
  प्रेमिका को जुकाम भी हो तो पंचांग निकालता है....
                                    आशिक मिजाज नाई सफाई पे ध्यान लगाता है
                                    ग्राहक पे कम खुद पे ज्यादा उस्तरा फिराता है....
  नेता की प्रेमिका का जीवन नर्क हो जाता है
  बात हो मौसम की वो लोकतंत्र समझाता है....
                                   अच्छा तो इसतरह इस अध्ययन का 
                                   अध्याय यहीं पर समाप्त हो जाता है,
  अच्छा लगा हो तो 'चर्चित' का हौसला 
  बढ़ाना आप सभी का फ़र्ज़ हो जाता है....
                                           
                                   - विशाल चर्चित

सोमवार, जुलाई 16, 2012

आ हा हा हा क्या बात क्या बात - क्या बात....


बाहर ठंडी - ठंडी पवन
ऊपर से रिमझिम बरसात,
सामने हो एक भरी प्लेट
गरम पकोड़े चटनी साथ
आ हा हा हा क्या बात
क्या बात - क्या बात....
बगल में बैठी जाने जानां
अपने हाथ से हमें खिलायें
वो भी बड़ी अदा के साथ,
आ हा हा हा क्या बात
क्या बात - क्या बात.... 
ख़तम पकौड़े चाय गरम
लौंग इलायची अदरक वाली
एक ही कप हम दोनों साथ,
आ हा हा हा क्या बात
क्या बात - क्या बात....
दौर शुरू हो अब प्यार का
दोनों के दिल में बहार का 
थोड़ी चुहलबाजी के साथ,
आ हा हा हा क्या बात
क्या बात - क्या बात....
इसी बीच जो नींद आ जाए
सुन्दर सपनों में खो जाएँ
जिन्हें सच करेंगे हम साथ,
आ हा हा हा क्या बात
क्या बात - क्या बात.... 
कुछ ऐसा ही हर कोई चाहे 
ये थी सबके दिल की बात
अगर भा गयी सच में सबको 
मेरी ये रिमझिम सौगात,
आ हा हा हा क्या बात
क्या बात - क्या बात.... 

- VISHAAL CHARCHCHIT

रविवार, जुलाई 15, 2012

अच्छा लगता है जब.....

अच्छा लगता है जब कहीं से 
लौटने पर पता चलता है कि
कुछ लोग हैं जो आपके बिना
उदास थे - परेशान थे - बेहाल थे,
ठीक उसीतरह जिस तरह कि आप
मजबूर थे - लाचार थे - असहाय थे....
अच्छा लगता है जब कुछ लोग
हो जाते हैं बहुत खुश आपको पाकर
ठीक उसीतरह जिसतरह कि आप,
मानो मिल गया हो कोई खजाना
खुशियों का - मुस्कुराहटों का.....
अच्छा लगता है जब कुछ लोग
दिखते हैं एकदम अलग और ख़ास
दिखावटी रिश्तों की भीड़ से
दिखावटी अपनेपन के संसार से
और, ये होते हैं आपके अपने
सच, अपने - बहुत अपने......

- VISHAAL CHARCHCHIT