सोमवार, जनवरी 30, 2017

धूल दिल के आइने पर.....


शुक्रवार, जनवरी 27, 2017

कितना सुन्दर मौसम - मौसम दिल ने छेड़ी सरगम-सरगम

कितना सुन्दर मौसम - मौसम
दिल ने छेड़ी सरगम-सरगम
आओ चिड़ियों झूमो - नाचो
छमछम-छमछम-छमछम-छमछम

सूरज गाये - चंदा गाये
पूरी कुदरत सुर में आये
फूलों का भी मन यूँ ललचे
खुश होकर खुशबू बरसायें
गमगम-गमगम-गमगम-गमगम

छोड़ो सारी दुनियादारी
आओ हमसे कर लो यारी
अपने हर पल को तुम कर लो
रौशन करने की तैयारी
पूनम-पूनम-पूनम-पूनम

हर कोई बच्चा बन जाये
रोना धोना कम हो जाये
सुख ही क्या दुःख पर भी फिर तो
हौले से हँसना आ जाये
मद्धम - मद्धम - मद्धम - मद्धम

- विशाल चर्चित

गुरुवार, जनवरी 26, 2017

गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ ......



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इस गणतंत्र दिवस के अवसर पर सभी मित्रों को हार्दिक बधाई देते हुए शुभकामनाएँ ......

कामना है कि देश के संविधान - उसके नियमों पर सच्चे दिल से अमल किया जाये
कामना है कि देश के तमाम कानूनों का हमेशा पूरी ईमानदारी से पालन किया जाये
कामना है कि लिंग-वर्ग-जाति तथा धर्म के आधार पर देश का बंटवारा न किया जाये कामना है कि देश से जुड़े दिनों को सिर्फ एक उत्सव-एक जश्न के रूप में न लिया जाये

/////// जय हिंद - वंदेमातरम /////// 

बुधवार, जनवरी 25, 2017

चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब....


चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब
सूझे न कहीं गलियारा जब,
जब दुखों से घिर जाओ तुम
जब चैन कहीं ना पाओ तुम...
मन व्याकुल सा - तन व्याकुल सा
जीवन ही लगे शोकाकुल सा,
कोई मीत न हो - कोई प्रीत न हो
लगता जैसे कोई ईश न हो....
तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ
ईश्वर की परम सुकृति की तरफ,
देखो तो भला सागर की लहर
उठती - गिरती जाती है ठहर...
अनुभव तो करो शीतलता का
पुरवाई की कोमलता का,
तुम नयन रंगो हरियाली से
पुष्पों की सुगन्धित लाली से....
तुम गान सुनो तो कोयल का
बहती सरिता की कलकल का,
पंछी करते क्या बात सुनो
कहता है क्या आकाश सुनो....
निकालोगे निराशा के तम से
निकलो तो भला अपने तन से,
है आस प्रकाश भरा जग में
रंग लो हर क्षण इसके रंग में....
जो बीत गया सो बीत गया
तम से निकला वो जीत गया,
उस जीत का तुम अनुभव तो करो
अनुभव तो करो - अनुभव तो करो...

- VISHAAL CHARCHCHIT

सोमवार, जनवरी 23, 2017

उसकी घड़ी है बहुत बड़ी...


उसकी घड़ी
है बहुत बड़ी
दिखती है थोड़ी सुस्त
पर चलती है लगातार...
उसके कैमरे
छिपे हैं कण - कण में,
रखते हैं नजर
चप्पे - चप्पे पर
बिना रुके - बिना थके...
उसके एक - एक ऐप्स
हैं एकदम मुश्तैद
एकदम सजग
करते रहते हैं अपना काम
चुपचाप, बिना किसी शोर के...
इसलिये उससे चालाकी
उसकी आंख में धूल झोंकना
पड़ता है बहुत महंगा...
उधर उसकी एक कमांड
इधर सबकुछ या
कुछ बहुत खास
हो जाता है 'डिलीट'
यानी साफ...
या होने लगता है
कहीं - कुछ 'हैंग'
यानी चलने लगता है
रुक - रुककर
अटक - अटक कर...
यही है उसका न्याय
यही है उसकी सत्ता,
वो है हर समय - हर जगह
क्या हुआ जो नहीं है दिखता...

- विशाल चर्चित

रविवार, जनवरी 22, 2017

बढ़ते विकल्प और भ्रमित जीवन...


बढ़ते विकल्प
सबकुछ की लालसा
और भ्रमित जीवन...

विषयों की भीड़
प्रसाद सी शिक्षा
ढेर सारा अपूर्ण ज्ञान...

उत्सवों की भरमार
बढती चमक दमक
घटता आनंद...

व्यंजनों की कतारें
खाया बहुत कुछ
फिर भी असंतुष्टि...

सैकड़ों चैनल
दिन-रात कार्यक्रम
पर मनोरंजन शून्य...

रिश्ते ही रिश्ते
बढ़ती औपचारिकता
और घटता अपनापन...

अनगिनत नियम कानून
बढ़ते दाँव - पेच
और बढ़ता भ्रष्टाचार...

फलती-फूलती बौद्धिकता
सूखते-सिकुड़ते हृदय
और दूभर होती श्वास...

अनेकों सूचना माध्यम
सुगम होती पहुँच
फिर भी घटता संपर्क...

फैलती तकनीक
बढ़्ती सुविधायें
घटती सुख-शान्ति...

हजारों से जुड़ाव
सैकड़ों से बातचीत
फिर भी अकेले हम...

- विशाल चर्चित

शनिवार, जनवरी 21, 2017

पेट भरा हो तो बहुत मिल जाते हैं...

पेट भरा हो तो
बहुत मिल जाते हैं
खिलाने वाले,
प्यास ना हो तो
बहुत मिल जाते है
प्यास बुझानेवाले,
नींद पूरी हो तो
बहुत मिल जाते हैं
लोरियां सुनानेवाले,
रास्ता पता हो तो
बहुत मिल जाते हैं
बताने वाले,
आता हो गिर के उठना तो
बहुत मिल जाते हैं
हाथ पकड़ के उठानेवाले...
पर नहीं भूलना चाहिये
वो वक्त जबकि
हम थे भूखे - हम थे प्यासे
नहीं आ रही थी हमें नींद
भटक रहे थे हम
सही रास्ते की तलाश में
चाहिये था किसी का सहारा
संभलने के लिये-उठने के लिये,
पर नहीं था किसी का साथ
नहीं था किसी का सहारा
नहीं था किसी का आसरा
नहीं थी किसी की आस
नहीं था कोई अपने पास...
वक्त आता है - जाता है
अक्सर हमें आजमाता है
खट्टे मीठे अनुभवों की
सौगातें दे जाता है,
चमकीली चीजें आती है
लुभाती हैं - ललचाती हैं,
लेकिन वक्त आने पर
धोखा दे जाती हैं,
सच्चे रिश्ते तो होते हैं वे
जो न घुमाते हैं - न फिराते हैं
न बहलाते हैं - न फुसलाते हैं
रहें चाहे कहीं भी पर
वक्त पर काम आते हैं
हमेशा साथ नजर आते है...
जिसने ये मर्म समझा
सिर्फ वो ही मुस्कुराता है,
वर्ना तो जिसे देखो
भटकता सा नजर आता है....

- विशाल चर्चित