शनिवार, अगस्त 30, 2014

अच्छे दिन जब आयेंगे महंगा मोदक लायेंगे....


अभी यही प्रभु सस्ता मोदक
महंगाई मुंह बाये जब तक
अच्छे दिन जब आयेंगे
महंगा मोदक लायेंगे
करो कृपा कुछ तुम्हीं गजानन
विघ्न दूर हो आनन फानन
लाखों के कुछ काम बनें तो
थोड़ा हम भी नाम करें तो
दरियादिल हम दिखला देंगे
भारी मोदक भी ला देंगे
नेताओं से झूठे वादे
नहीं हमें हैं करने आते
सीधा सुनना - सीधा कहना
हर हालत में सीधे रहना
फिर भी कछुआ चाल जिन्दगी
ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी
तुम चाहो तो क्या मुश्किल है
चलकर आती खुद मंजिल है
'चर्चित' की चर्चा करवा दो
धन की भी वर्षा करवा दो
अच्छाई की जीत सदा है
ये सच फिर साबित करवा दो

- विशाल चर्चित

मंगलवार, अगस्त 26, 2014

बनो ऐसे कि....


बनो ऐसे कि 
मंजिल को हो इन्तजार
तुम्हारे पहुंचने का,
और अगर ऐसा न हो तो
रह जाए एक मलाल उसे
तुम्हारे न पहुंचने का...

बनो ऐसे कि
हर महफिल में छाए रौनक
एक तुम्हारे आने से,
छा जाये हर तरफ मातम
एक तुम्हारे जाने से...

बनो ऐसे कि
बहुत बड़ी हो जाएं
तुम्हारे आस पास की 
छोटी - छोटी खुशियां भी,
सिमट कर न के बराबर 
रह जाये अपनी ही नहीं
दूसरों के गमों की दुनिया भी...

बनो ऐसे कि
हर रिश्ता तुमसे
जगमगाता सा नजर आये,
दिलो जान से निभाने पर भी
अगर कोई जाए तो पछताये कि
यार बहुत बड़ी गलती कर आये...

बनो ऐसे कि
हर हुनर - हर फन में
एक मिसाल हो जाओ,
तो देर किस बात की है
जो बीता सो बीता
अब तो होश में 'विशाल' हो जाओ...

- विशाल चर्चित

शुक्रवार, अगस्त 15, 2014

सोचें कि कहीं अति तो नही हो रही स्वतंत्र की....


हमारा स्वतंत्रता दिवस
आयु के अरसठवें पड़ाव पर,
पूर्णतया प्रौढ़ और परिपक्व...
आरंभ में सीखा कि
कैसे जियें - कैसे रहें
स्वतंत्रता के साथ
क्योंकि तब थी
गरीबी - अशिक्षा 
और बेरोजगारी की लाचारी,
अधिकांश आवश्यकताओं के लिये
विकसित देशों के आगे हाथ बांधे
उनकी हां में हां मिलाते
उनसे अपना मजाक उड़वाते खड़े
कुछ ऐसा था हमारा बचपन...
फिर आया वो समय भी जब
हमने थोड़ा विकास किया
थोड़ी सुख - सुविधायें देखी
अपने पैर पर खड़े होकर
स्वतंत्रता के यौवन को अनुभव किया...
और अब प्रौढ़ावस्था में,
गरीबी से अमीरी के 
दरवाजे पर दस्तक देते हुए,
विश्व के प्रमुख प्रतिष्ठित देशों 
की सूची में पहुंच कर 
गर्वान्वित
 अनुभव करते हुए,
एक बड़ा बाजार बनकर
सभी प्रमुख देशों की
आवश्यकता बनते हुए,
सभी संसाधनों से लैस
संचार माध्यमों के जरिये
चहुं ओर व्याप्त होते हुए...
आइये सोचें कि कहीं अब
अति स्वतंत्र तो नहीं होने लगे?!
कुछ भी कह देने के लिये स्वतंत्र?!
कुछ भी कर देने के लिये स्वतंत्र?!
नियम - कानूनों में अपनी सुविधानुसार
फेर बदल कर देने के लिये स्वतंत्र?!
येन-केन-प्रकारेण धन एवं सम्मान के लिये स्वतंत्र?!
कोई तर्क देकर भ्रष्टाचार को सही बता रहा
कोई तर्क देकर बलात्कार को सही बता रहा
कोई तर्क देकर अन्याय को सही बता रहा
कहीं ये अति शिक्षा तो नहीं ?!
पता है कि अधिकांश लोगों के पास
समय नहीं है इन विषयों पर सोचने का
यहां तक कि पढ़ने का भी
फिर भी एक आशा - एक विश्वास कि
कुछ लोग है जो इन पर 
सोचते भी हैं- समझते भी हैं और
एक ठोस विचार भी रखते हैं...
बाकी अन्य लोगों के लिये
इन सब फालतू कार्यों के लिये
समय नहीं है
बधाई दो - बधाई लो 
जय हिन्द - वंदे मातरम बोलो
और आगे बढ़ो....

इसलिये -

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
जय हिन्द - वंदे मातरम !!!

- विशाल चर्चित

रविवार, अगस्त 10, 2014

इसीलिये मां लाती है हमारे लिये बहन....


मां हमसे बच्चों की तरह
लड़ - झगड़ नहीं सकती न,
गुस्सा होने पर हमारे
बाल नहीं नोच सकती न,
मस्तियां और शरारतें भी
नहीं कर सकती न,
उल्टे - पुल्टे सपने और
ऊल जुलूल बातें भी
नहीं कर सकती न,
इसी लिये लाती है
हमारे लिये बहन,
जो होती तो है
स्नेह और ममता में
मां का ही प्रतिरूप,
पर उसका बचपना
उसकी शरारते - उसकी मस्तियां
उसका लड़ना - झगडना
उसका रूठना - उसका गुस्सा
उसकी बेसिर - पैर की बातें
बनाती हैं उसे खास,
और यही चीज देती है
भाई - बहन के रिश्ते को
एक खास एहसास,
और इस एहसास को ही
तरोताजा करने के लिये
आता है रक्षाबंधन,
जो लाता है ये संदेश कि -
रिश्ते बदलें - मौसम बदले
या बदले संसार
पर एक चीज कभी ना बदले
भाई - बहन का प्यार....

रक्षाबंधन की स्नेहिल बधाई सहित...