शुक्रवार, मार्च 27, 2020

कॉरोना महामारी रूपी प्राकृतिक आपदा

कॉरोना की इस महामारी के समय प्रस्तुत है स्वाभाविक से भाव से भरी ये रचना...


चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब
सूझे न कहीं गलियारा जब,
जब दुखों से घिर जाओ तुम
जब चैन कहीं ना पाओ तुम...

मन व्याकुल सा - तन व्याकुल सा
जीवन ही लगे शोकाकुल सा,
कोई मीत न हो - कोई प्रीत न हो
लगता जैसे कोई ईश न हो....

तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ
ईश्वर की परम सुकृति की तरफ,
देखो तो भला सागर की लहर
उठती - गिरती जाती है ठहर...

अनुभव तो करो शीतलता का
पुरवाई की कोमलता का,
तुम नयन रंगो हरियाली से
पुष्पों की सुगन्धित लाली से....

तुम गान सुनो तो कोयल का
बहती सरिता की कलकल का,
पंछी करते क्या बात सुनो
कहता है क्या आकाश सुनो....

निकालोगे निराशा के तम से
निकलो तो भला अपने तन से,
है आस प्रकाश भरा जग में
रंग लो हर क्षण इसके रंग में....

जो बीत गया सो बीत गया
तम से निकला वो जीत गया,
उस जीत का तुम अनुभव तो करो
अनुभव तो करो - अनुभव तो करो...

- VISHAAL CHARCHCHIT

बुधवार, मार्च 25, 2020

प्रधानमंत्री मोदी जी के २१ दिन के पूर्णतया बंद के आह्वान पर



प्रधानमंत्री जी से -
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- हमें आप पर - आपके नेतृत्व पर - आपके निर्णय पर पूर्णतः विश्वास है।
- हमें आपके हर निर्णय मान्य हैं।
- लेकिन आपसे निवेदन है कि आप राज्य सरकारों और प्रशासन से बात करके ये सुनिश्चित करें कि सभी के जरूरत की चीजें सुचारु रूप से मिलती रहें।
- आपसे निवेदन है कि आप राज्य सरकारों और प्रशासन से बात करके ये सुनिश्चित करें कि रोज कमाने खाने वाले गरीबों, मजदूरों, किसानों को राशन पानी मिलता रहे।
- आपसे निवेदन है कि आप राज्य सरकारों और प्रशासन से बात करके ये सुनिश्चित करें कि इस २१ दिन के दरम्यान या उसके बाद किसी की नौकरी न जाये, उसकी रोजी रोटी न छिने।

राज्य सरकारों से - प्रशासन से-
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- अब आपकी नैतिक जिम्मेदारियाँ बढ़ गयी हैं। ये मानकर चलें कि ये आपके लिये परीक्षा की घड़ी है। धैर्य से काम करें और सकारात्मक सोचें कि कुछ सोचकर ईश्वर ने आपको ये जिम्मेदारी दी है।
- झुंझलायें नहीं। घबरायें नहीं। गुस्से पर काबू रखें।
- जनता से पुलीसिया तरीके के बजाय जहाँ तक हो सके नरमी से पेश आयें। पर हाँ यदि जरूरी हो तो सख्ती भी करें।
- सभी मीडिया माध्यमों के जरिये जनता के संपर्क में रहें क्योंकि जनता अब पूरी तरह आपके ही भरोसे है।
- इस बीच, अफवाह, अपराध, कालाबाजारी, भ्रष्टाचार के केसेज बढ़ सकते हैं, तो उनकी त्वरित जानकारी, जाँच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

विपक्षी दलों से - उनके नेताओं से -
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- आप एक विपक्षी होने से ज्यादा ये सोचें कि पहले आप एक भारतीय हैं।
- देश की जनता के प्रति आपका भी कुछ दायित्व बनता है।
- आपका कर्तव्य केवल केन्द्र सरकार की खामियाँ गिनाना नहीं बल्कि सही राय देना, आगे बढ़कर उसका हाथ बँटाना भी है।
- ये समय आपसी वैमन्स्य - नीचा दिखाने का नहीं है। उसके लिये और भी बहुत से मौके आयेंगे। 
- इस समय आप द्वारा की गयी चालाकी भरी राजनीति से आम जनता का जीवन और भी मुश्किल हो सकता है, जो न तो देश के लिये ठीक है और न आपके भविष्य के लिये।

मीडिया से -
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- आप इस २१ दिन के लॉकडाउन में कृपा करके 'सास-बहू', 'सपना चौधरी की नृत्य', 'कवियॉ के हुड़्दंग', 'रावण की गुफा' या अन्य मनोरंजक कार्यक्रमों के बजाय ऐसे समाचारों पर जोर दें कि आम जनता को कोरोना के बारे में पूर्ण मार्गदर्शन मिले।
- लोगों रोजमर्रा की चीजें कब-कहाँ और कैसे मिलेंगी, इसका मार्गदर्शन आपकी नैतिक जिम्मेदारी है।
- लोगों को कोरोना संबंधी जाँच या इलाज कहाँ और कैसे मिलेगा, इसका मार्गदर्शन आपकी नैतिक जिम्मेदारी है।
- लोगों को सरकार से आर्थिक मदद कितनी और कैसे मिलेगी, इसका मार्गदर्शन आपकी नैतिक जिम्मेदारी है।
- इस बीच, अफवाह, अपराध, कालाबाजारी, भ्रष्टाचार के केसेज बढ़ सकते हैं, तो इसकी कवरेज, उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करना आपकी नैतिक जिम्मेदारी है।
- फालतू की डिबेट और बहस से कुछ नहीं हासिल होनेवाला, बेहतर हो कि अलग-अलग विशेषज्ञों के जरिये जनता को अलग-अलग जरूरी जानकारियाँ दी जायें।

प्राइवेट कंपनी मालिकों - व्यवसाइयों - उद्यमियों से -
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- ये समय आपके लिये एक अवसर की तरह है, कामकाज को ऑनलाइन करने के तरीके ढूँढने का।
- अपने कर्मचारियों को छुट्टी देकर उनका वेतन काटने के बजाय उनसे ऑनलाइन काम कराने के तरीके खोजें।
- सोचिये कि यदि कर्मचारियों को यदि एक लैपटॉप और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करा दिया जाये तो तमाम काम घर से भी हो सकते हैं।
- २१ दिन के लॉकडाउन से हुए नुकसान की भरपाई कर्मचारियों के वेतन काटकर करने के बजाय उनसे १-१ घंटे ओवरटाइम करा कर भी किया जा सकता है।
- इस खाली समय में आप अपने कारोबार को बढ़ाने के लिये मार्केट से जुड़े लोगों से, अपने क्लाइंटों और कस्टमरों से बातचीत और विचार-विमर्श के जरिये भी कर सकते हैं।
- इस खाली समय का उपयोग इंटरनेट के जरिये नयी चीजों पर शोध में भी किया जा सकता है।

आम जनता से -
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- ये मान कर चलिये कि प्रधानमंत्री जी ने ये २१ दिन बंद करने का फैसला बहुत सोच-समझकर, मजबूरी में, देश हित में, आपके हित में लिया है।
- तो आपको बस इतना करना है कि निजी स्वार्थों, जाति, धर्म. लिंग और दल से ऊपर उठकर देश हित में सोचना है। जान है तो जहान है।
- फालतू की बहस बाद में भी हो सकती है। कमियाँ गिनाना बाद में भी हो सकता है। लड़ने-झगड़ने के लिये और भी मौके आयेंगे। 
- ऐसा मान लीजिये कि ये एक युद्ध की स्थिति है, सरकार, सेना, प्रशासन, मीडिया, पूरा देश युद्ध की स्थिति में है। तो सोचिये कि ऐसे में आप क्या करेंगे?
- मोबाइल-इंटरनेट का प्रयोग फालतू की पंचायत, टाइम पास के बजाय लोगों की मदद, सरकार और प्रशासन की मदद में भी हो सकता है।
- आप अपने आस-पास फैल रहे अफवाहों, अपराधों, कालाबाजारी और भ्रष्टाचार की सूचना मीडिया और पुलिस प्रशासन को दे सकते हैं।
- आपके लिये ये एक अच्छा समय है कुछ सीखने का, कुछ जानने का, कुछ नया करने का, आपके पास समय भी है, मोबाइल भी है, गूगल भी है, यू-ट्यूब भी है और तमाम सोशल मीडिया साइट्स भी हैं।
- इस समय को चाहें तो यूं ही गँवा दे, चाहें तो कुछ करके दिखा दें।

- विशाल चर्चित #coronavirus

मंगलवार, मार्च 17, 2020

कॉरोना, ईश्वर के संकेत हैं समझो...


अपने स्वाद के लिये
कुछ भी खा लिया,
निरीह पशु-पक्षियों को
चबा लिया-पचा लिया,
वो मासूम-हम चालाक
पकड़ लिया-मार दिया
रोम-रोम उनका
बाजार में उतार दिया...

जाना ही नहीं कि
उनमें भी जान होती है,
देखा तक नहीं कि 
उनको भी दर्द होता है,
सोचा भी नहीं कि
उनकी भी 'हाय' होती है...

ये है इतिहास की
सबसे सभ्य दुनिया,
ये है इतिहास की
सबसे विकसित दुनिया...

हरे-भरे जंगल थे
शहर निगल गये,
हवा-पानी-पेड़-पौधे
कीट और पशु-पक्षी
सबकुछ हमारी
सुख-सुविधा की भेंट चढ़ गये...

हम भूल गये कि हमारे 
ऊपर भी कोई रहता है, 
हम भूल गये कि कोई है
जो हमारी हर हरकत पर
नजर रखता है, 
वो कुदरत - वो ईश्वर
हमेशा - हर जगह है
ये रह-रहकर बताता रहता है...

कभी भूकंप तो कभी तूफान
कभी बाढ़ - सूखा
तो कभी महामारियाँ
इन सबके जरिये
हम इंसानों को 
औकात में लाता रहता है...

स्वाइन फ्लू-बर्ड फ्लू हो
या कि हो कॉरोना,
ये सब ईश्वर के 
संकेत हैं समझो,
'अति करोगे तो भरोगे'
'हमें भूलोगे तो भुक्तोगे',
उसकी इस अनकही बात में
छिपे भेद को समझो...

खैर, औरों की और जानें
हम अपनी बात कहते हैं,
चर्चित के पैर बाबा 
सदा जमीन पर ही रह्ते हैं,
यहाँ ना तो अति है
यहाँ न बहुत गति है
'जियो और जीने दो'
हम ये मंत्र जपते रहते हैं...


- विशाल चर्चित

शुक्रवार, मार्च 13, 2020

करोना, तुम यहाँ 'चर्चित की चच्ची' बनो ना...


करोना,
परेशान मत करो ना,
पूरी दुनिया डर गयी
अब जरा तुम भी डरो ना...

करोना,
अच्छों को सताया- सच्चों को सताया
अब जरा दंगाइयों और 
आतंकवादियों का भी कुछ करो ना,
वर्ना चुल्लू भर पानी में डूब मरो ना...

करोना,
पूरी दुनिया ने क्या बिगाड़ा है
तो सबकी छाती मूंग क्यों दलना
जिसने सांप-बिच्छू-चमगादड़ तक को चरा
तुम खाली उसी चाइना को ही चरो ना...

करोना,
खाँसी और मफलर से
बड़ी मुश्किल से छूटी है
अपने सर जी की जान,
अब तुम भी उनके गले पड़ो ना...

करोना,
बीमार माँ बहू बिना परेशान है,
सब साथी भी साथ छोड़ रहे
न कोई अगाड़ी है- न पिछाड़ी है
ऐसे में 'करुणा' बनकर
हमारे पप्पू की माँग तुम भरो ना,,,,

करोना,
देखो नेतनयाहू ने किया नमस्ते
ट्र्म्प ने किया नमस्ते
तो अब तुम भी नमस्ते करो ना,
शांति और प्रेम में ही मजा है
तो बेकार में तुम लड़ो ना,,,

करोना,
वैसे ही तुम हो चुकी बहुत मशहूर
और सिर पे चढ़ो ना,
धीरे से दूसरी दुनिया में निकल लो
यहाँ 'चर्चित की चच्ची' बनो ना...

- विशाल चर्चित