रविवार, अगस्त 26, 2018

ये राखी के धागे...

क्या अजीब खेल हैं ज़िंदगी के
कि एक ही कोख से जन्म लेते हैं
वर्षों एक छत के नीचे साथ रहते हैं
लड़ते हैं - झगड़ते हैं - रूठते हैं - मनाते हैं 
समझते हैं - समझाते हैं...

ढेर सारी चीजों पर -
ढेर सारी बातें करते हैं
हर सुख में - हर दुःख में
एक दूसरे का सहारा बनते हैं,
देखते ही देखते पता ही नहीं चलता 
और आता है एक दिन ऐसा भी कि 
न चाहते हुए भी बिछड़ जाते हैं हम...

बस रोते - बिलखते लाचार से 
हाथ हिलाते रह जाते हैं हम...
अब तो सिर्फ आवाज सुनाई देती है
या वर्षों बाद मिलना हो पाता है...

इस बीच अकेले में हमें जोड़े रखता है
हमारा प्यार - हमारे बचपन की यादें
कुछ परम्पराएं - कुछ संस्कार
और इनकी खुशबू से भीगे धागे,
ये राखी के धागे........

- VISHAAL CHARCHCHIT

शनिवार, अगस्त 18, 2018

केरल का जल प्रलय



क्या प्रभु - रुष्ट क्यों?
वो भी अपने देश से?
हो गयी भूल क्या
इस धरा विशेष पे??

ये कहर - ये प्रलय
इस प्राकृतिक उपहार पर?
क्या मिलेगा यहाँ पर
जीवों के संहार से??

ना यहाँ कोई घोर पाप
ना तो कोई उग्रवाद,
ना तो आपके नियम से
कोई भी है यहाँ विवाद...

भोली-भाली प्रकृति यहाँ
भोले-भाले लोग हैं,
हर तरफ हरियाली जैसे
यही स्वर्गलोक है...

फिर भला ये कोप क्यों
किसलिये जलवृष्टि ये?
हे महादेव यहाँ क्यों
खोली तीसरी दृष्टि ये??

हैं बहुत से और देश
करते रहते केवल क्लेश,
फिर भी उनके पास क्यों
सुख - संपदा अति विशेष??

क्या यही कलिकाल है?
क्या ये न्याय हो रहा?
देखिये जरा देखिये
क्या ये 'हाय' हो रहा...

यदि ये रीति कलियुगी
आप यही चाहते,
क्षमा करें शंभु ये
हम देह नहीं चाहते...

पाप का विनाश हो
पुण्य प्रफुल्लित रहे,
चाहते हैं आप यदि
कि ये 'चर्चित' रहे...

- विशाल चर्चित

शुक्रवार, अगस्त 17, 2018

एक सूर्य अस्त तो अनंत दीप जल उठे, फिर भी आह अंधकार काश सूर्य फिर उगे...


एक सूर्य अस्त तो 
अनंत दीप जल उठे,
फिर भी आह अंधकार
काश सूर्य फिर उगे...

फिर से वही प्रात हो
फिर से ज्योतिपुंज हो,
फिर से नव उमंगमयी
आपकी वो गूँज हो...

आपका वो नेतृत्व
आपका वो पथ-प्रदर्शन,
देश कैसे भूले वो
आपका प्रत्येक दर्शन...

आपकी वो ओजमयी
काव्यमयी पंक्तियाँ,
आह-आह उनमें थीं
कितनी सारी शक्तियाँ...

आपका हृदय विशाल
ऊर्जा का स्रोत था,
जिससे देश का हृदय
प्रेरित व ओत-प्रोत था...

हाय मृत्यु ले गयी
सारा हमसे छीनकर,
जो प्रकृति ने आपमें,
थीं भरी खोजबीन कर...

अब तो हाथ जोड़ ये
ईश्वर से प्रार्थना,
स्वर्ग को सुशोभित करे
अटल जी की आत्मा...

मिले परम गति व शांति
मोक्ष व परमात्मा, 
आपसे सजीव रहे
भारत की आत्मा...

आश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि सहित

- विशाल चर्चित

बुधवार, अगस्त 15, 2018

नमन् उन्हें जो आजादी की खातिर सबकुछ भूल गये, हँसते-हँसते 'जय हिन्द' बोला और फाँसी पर झूल गये...



नमन् उन्हें जो आजादी की
खातिर सबकुछ भूल गये,
हँसते-हँसते 'जय हिन्द' बोला
और फाँसी पर झूल गये...

नमन् उन्हें जो सबकुछ था पर
देश की खातिर छोड़ दिया,
आजादी दी, सत्ता सौंपी
और दुनिया को छोड़ दिया...

नमन् उन्हें कि जो सीमा पर
प्रहरी बनकर रहते हैं,
देश सुरक्षित रहे इसलिये
हर दुख सहते रहते हैं...

नमन् उन्हें जो गश्त पे रहते
हर मौसम - हर हाल में,
जो समा गये जनता की खातिर
स्वयं काल के गाल में...

नमन् उन्हें जो देश को लाये
आजादी के बाद यहाँ तक,
मुश्किल हालातों से उबारा
आबादी को आज यहाँ तक...

नमन् उन्हें जो देश का परचम
पूरी दुनिया में लहरा आये,
नमन् उन्हें जो अंतरिक्ष में भी
अपना तिरंगा फहरा आये...

नमन् उन्हें जो अपने क्षेत्र में
करते अर्जित सदा विशेष,
नमन् उन्हें जो देश को हर दिन
करते अर्पित सदा विशेष...

नमन् उन्हें जो करते कार्य
जाति-धर्म से ऊपर उठकर,
कोई मुसीबत में ये दौड़ते
निज स्वार्थ से ऊपर उठकर...

नमन् उन्हें जो अपने अलावा
और्रों के बारे में भी हैं सोचते,
किसी ना किसी तरह देश को
हैं सुदृढ़ करते और जोड़ते...

नमन् उन्हें जो ये 'चर्चित' का
संदेश पढ़ेंगे - सोचेंगे,
देश के लिये सही मार्ग पर
पूरे जोश से हो लेंगे...

जय हिंद - जय भारत
..... वंदे मातरम .....

- विशाल चर्चित