पेट भरा हो तो
बहुत मिल जाते हैं
खिलाने वाले,
प्यास ना हो तो
बहुत मिल जाते है
प्यास बुझानेवाले,
नींद पूरी हो तो
बहुत मिल जाते हैं
लोरियां सुनानेवाले,
रास्ता पता हो तो
बहुत मिल जाते हैं
बताने वाले,
आता हो गिर के उठना तो
बहुत मिल जाते हैं
हाथ पकड़ के उठानेवाले...
पर नहीं भूलना चाहिये
वो वक्त जबकि
हम थे भूखे - हम थे प्यासे
नहीं आ रही थी हमें नींद
भटक रहे थे हम
सही रास्ते की तलाश में
चाहिये था किसी का सहारा
संभलने के लिये-उठने के लिये,
पर नहीं था किसी का साथ
नहीं था किसी का सहारा
नहीं था किसी का आसरा
नहीं थी किसी की आस
नहीं था कोई अपने पास...
वक्त आता है - जाता है
अक्सर हमें आजमाता है
खट्टे मीठे अनुभवों की
सौगातें दे जाता है,
चमकीली चीजें आती है
लुभाती हैं - ललचाती हैं,
लेकिन वक्त आने पर
धोखा दे जाती हैं,
सच्चे रिश्ते तो होते हैं वे
जो न घुमाते हैं - न फिराते हैं
न बहलाते हैं - न फुसलाते हैं
रहें चाहे कहीं भी पर
वक्त पर काम आते हैं
हमेशा साथ नजर आते है...
जिसने ये मर्म समझा
सिर्फ वो ही मुस्कुराता है,
वर्ना तो जिसे देखो
भटकता सा नजर आता है....
- विशाल चर्चित
बहुत मिल जाते हैं
खिलाने वाले,
प्यास ना हो तो
बहुत मिल जाते है
प्यास बुझानेवाले,
नींद पूरी हो तो
बहुत मिल जाते हैं
लोरियां सुनानेवाले,
रास्ता पता हो तो
बहुत मिल जाते हैं
बताने वाले,
आता हो गिर के उठना तो
बहुत मिल जाते हैं
हाथ पकड़ के उठानेवाले...
पर नहीं भूलना चाहिये
वो वक्त जबकि
हम थे भूखे - हम थे प्यासे
नहीं आ रही थी हमें नींद
भटक रहे थे हम
सही रास्ते की तलाश में
चाहिये था किसी का सहारा
संभलने के लिये-उठने के लिये,
पर नहीं था किसी का साथ
नहीं था किसी का सहारा
नहीं था किसी का आसरा
नहीं थी किसी की आस
नहीं था कोई अपने पास...
वक्त आता है - जाता है
अक्सर हमें आजमाता है
खट्टे मीठे अनुभवों की
सौगातें दे जाता है,
चमकीली चीजें आती है
लुभाती हैं - ललचाती हैं,
लेकिन वक्त आने पर
धोखा दे जाती हैं,
सच्चे रिश्ते तो होते हैं वे
जो न घुमाते हैं - न फिराते हैं
न बहलाते हैं - न फुसलाते हैं
रहें चाहे कहीं भी पर
वक्त पर काम आते हैं
हमेशा साथ नजर आते है...
जिसने ये मर्म समझा
सिर्फ वो ही मुस्कुराता है,
वर्ना तो जिसे देखो
भटकता सा नजर आता है....
- विशाल चर्चित
बहुत सही कहा
जवाब देंहटाएं