इन शहरी बिल्डरों से तो अच्छा था वीरप्पन...
इन शहरी बिल्डरों से तो अच्छा था वीरप्पन
चन्दन की तस्करी करता था, पर हरा भरा था जंगल,
हरा भरा था जंगल, जंगल में था मंगल
यहाँ शहर में मची हुई है देखो बुल्डोज़री दंगल...
रोज़ कट रहे पेड़, लद रही बिल्डिंगों पे बिल्डिंगें
बढ़ रही गर्मी और आग, जहाँ देखो वहां दमकल...
सिकुड़ती सर्दियाँ, फैलते गर्मी के मौसम
ज़रूरी हो गए अब पाखानों में भी एसी या कूलर..
एसी या कूलर, इनसे गड़बड़ाता वातावरण
पिघलती बर्फ पहाड़ों पर, बढ़ता सागरी जलस्तर...
बढ़ता सागरी जलस्तर, सपनों में भी आता सुनामी
चलों 'चर्चित' बेटा बना लें अभी से एवरेस्ट पर घर....
बहुत ही सुंदर व्यंग्यात्मक सत्य,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com