वो आये किये धमाका
और मुस्कुराते निकल गए,
सोचा भी नहीं इंसानियत के
जनाजे निकल गए,
आओ - मिलें - बैठें
बातों से जी बहलायें,
उजाड़ना था जिन्हें वो तो
कब के उजाड़ गए......
और मुस्कुराते निकल गए,
सोचा भी नहीं इंसानियत के
जनाजे निकल गए,
आओ - मिलें - बैठें
बातों से जी बहलायें,
उजाड़ना था जिन्हें वो तो
कब के उजाड़ गए......
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