होता है
कई लोगों को
ये भ्रम कि
उनके कर्म हैं
बड़े अच्छे,
हैं वे बड़े आस्तिक
करते हैं बहुत
पूजा - अर्चना,
इसलिये है और
रहेगा ईश्वर हमेशा
उनके ही साथ,
भूल जाते हैं
अपनी गलतियां
अपनों से -
अपने शुभचिंतकों से
बोले गये कड़वे बोल,
बोले गये तमाम झूठ,
दिखाई गयी होशियारी,
अपने फायदे के लिये
अपने स्वार्थ के लिये...
भूल जाते हैं
कि कोई देखे न देखे
कोई समझे न समझे
वो ऊपर बैठा ईश्वर
सब देख रहा है
सब समझ रहा है,
दर्ज कर रहा है
अपने बही खाते में,
ताकि कर सके हिसाब
कर सके उचित न्याय,
एकदम सटीक,
एकदम सही - सही,
सिद्धांत है वही
एकदम सीधा सादा,
कि जैसा बोया
वैसा काटो,
न उससे कम
न उससे ज्यादा...
न चलती है कोई पूजा
न कोई आराधना
न कोई मस्का
न कोई चापलूसी...
काम आता है
हमारा कर्म - हमारा व्यवहार
लोगों से हमारा रिश्ता
अपनों से हमारा
निःस्वार्थ प्यार...
जिसने समझा - उसने पाया
वही है हंसता - जिसने हंसाया...
- विशाल चर्चित
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