सोमवार, अक्तूबर 24, 2011
समझिये कि ग़ज़ल हो गयी.....
हम दिल के मामले में अलफ़ाज़ नहीं देखते
आप उफ़ भी करें तो समझिये कि ग़ज़ल हो गयी....
1 टिप्पणी:
avanti singh
10 नवंबर 2011 को 12:55 pm बजे
दो पंक्तियों में काफी कुछ कहा विशाल भाई आप ने ....
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दो पंक्तियों में काफी कुछ कहा विशाल भाई आप ने ....
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