चूल्हा यहाँ पर
पतीला वहाँ पर,
फिर भी पक ही
जाती है
'इश्किया खिचड़ी',
जिससे आ जाता है
जायका ज़िन्दगी में,
और लगती है चलने
जैसे कि फिसली...
एक का चावल
दूसरे की दाल,
मुलाक़ात हो तो
तड़का कमाल...
कभी आ ही जाती है
बातों में मिर्ची,
कभी हो ही जाती हैं
नज़रें भी तिरछी...
कुछ खोजते हैं तब
तोहफ़े की लस्सी,
तो कुछ ढूंढते
आत्महत्या की रस्सी...
- विशाल चर्चित
#ishqiya_khichdi, #इश्किया_खिचड़ी, #love, #ishq, #pyar, #prem, #kavita, #poetry, #shayari, #प्रेम, #प्यार, #इश्क, #मुहब्बत, #कविता, #शायरी
सही कहा
जवाब देंहटाएंथैंक्स भाई जी.
हटाएं