दर्जन भर का दिल बाँटेव औ
प्रेम - प्रेम चिल्लाय रहेव है,
इधर - उधर मुँह मारत हौ तुम
कूकुर से बनि जाय रहेव है...
वलेन्टइनवा भारत आयेस
जाइ के सबका ब्याह पढ़ायेस,
सब गोरन का मनई बनायेस,
औ अब तुम उनसे कचरा लइके
अइसी - तइसी कराय रहेव है...
बात गौर से सोचव कि ई
कौन सभ्यता लाय रहेव है,
एह तरह औलादन का तुम
पाठ कौन तुम पढ़ाय रहेव है...
कहैं 'चर्चित' कविराय सुनौ
तुम भले दर्जनभर भाय
बहिन औ मित्र बनाओ,
लेकिन दिल तौ बाबू
एकय से ही लगाओ,
अउर फिर आवय
आंधी या तूफान मगर
तुम वही का ब्याह के
अपने जीवन मा लाओ
औ जीवनभर साथ निभाओ...
बात समझ मा आई या कि
ओइसे मुंडी हिलाय रहेव है,
चाल-चलन बदलव वर्ना खुद
अपने पैर मा कुल्हाड़ी चलाय रहेव है...
HAPPY VALENTINE'S DAY
- विशाल चर्चित
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बसन्तोत्सव पर सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंप्रणाम एवं आभार सर
हटाएंसुन्दर व्यंग के साथ रची गई इस रचना हेतु बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। ।।
जवाब देंहटाएंबसंतोत्सव की बधाई भी स्वीकार करें।
बहुत बढ़िया
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