तब टीवी की खबर पर, 'देश प्रेम' चर्राय
नेता उल्लू साधते, आपन गाल बजाय
जनता देखय फायदा, बातन में आ जाय
जोड़-तोड़ बनि जाय जो, दोबारा सरकार
लूट-पाट होने लगे, बढ़ता भ्रष्टाचार
महंगाई जस जस बढ़ै, व्यापारी मुस्कायँ,
जैसे आवय आपदा, फौरन दाम बढ़ायँ
पत्रकारिता बिक गयी, कलम करे व्यापार
समाचार के दाम भी, माँग रहे अखबार
कामकाज को टारि के, बाबू गाल बजायँ
देश तरक्की कर रहा, सोचि सोचि मुस्कायँ
अब शिक्षा के नाम पर, शोबाजी भरपूर
टीमटाम तो बहुत है, शिक्षा कोसों दूर
- विशाल चर्चित
#दोहा #दोहे #हिन्दी #कविता #Hindi #doha #dohe #poetry
#दोहा #दोहे #हिन्दी #कविता #Hindi #doha #dohe #poetry
सार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएंप्रणाम एवं आभार सर
हटाएंबहुत सुंदर। लाजवाब अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई
हटाएंबहुत सटीक सामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार कविता जी
हटाएंसार्थक एवं प्रभावी । बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमृता जी
हटाएंसार्थक दोहे
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई जी...
हटाएंहर एक दोहा सत्य से पर्दा उठाता हुआ....बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंमीना जी आभार.
हटाएंवाह लाजवाब सार्थक सृजन।
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे।
वीणा जी धनयवाद.
हटाएंIT'S A PLEASURE FOR ME.
जवाब देंहटाएं