हे शिव-महेश्वर-शम्भु-शंकर
तुम करो अब ताण्डव,
पाप अपने चरम पर है
तुम करो अब ताण्डव,..
व्याप्त है चहुंओर भय
अतिक्रूरता-आतंकवाद,
पशु-पक्षि भी सहमे हुए
प्रभु करो अब ताण्डव,..
अतिक्रूरता-आतंकवाद,
पशु-पक्षि भी सहमे हुए
प्रभु करो अब ताण्डव,..
यम-नियम और धर्म पर
पाखंड भारी पड़ रहा,
सच के ऊपर झूठ और
छल-छंद का रंग चढ़ रहा,
तुम सृष्टि का परिमार्जन हो
इसलिये करो अब ताण्डव,..
पाखंड भारी पड़ रहा,
सच के ऊपर झूठ और
छल-छंद का रंग चढ़ रहा,
तुम सृष्टि का परिमार्जन हो
इसलिये करो अब ताण्डव,..
नव-कल्पना, परिकल्पना
नव प्रकृति को आकार दो,
नव आत्मा - परमात्मा
नव धर्म - नव संसार दो,
नव शून्य - नूतन वायु-जल हो
इसलिये करो अब ताण्डव,..
दोष सब निर्दोष और
प्राचीन अर्वाचीन कर दो,
हर हृदय को शुद्ध निर्मल
एवं देवासीन कर दो,
हे रुद्र, हों सब सत्य
'चर्चित के वचन'
अतएव करो अब ताण्डव...
सभी इष्ट मित्रों के लिये
महाशिवरात्रि की
हार्दिक शुभकामना सहित
- विशाल चर्चित
नव प्रकृति को आकार दो,
नव आत्मा - परमात्मा
नव धर्म - नव संसार दो,
नव शून्य - नूतन वायु-जल हो
इसलिये करो अब ताण्डव,..
दोष सब निर्दोष और
प्राचीन अर्वाचीन कर दो,
हर हृदय को शुद्ध निर्मल
एवं देवासीन कर दो,
हे रुद्र, हों सब सत्य
'चर्चित के वचन'
अतएव करो अब ताण्डव...
सभी इष्ट मित्रों के लिये
महाशिवरात्रि की
हार्दिक शुभकामना सहित
- विशाल चर्चित
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (14-02-2017) को "महामृत्युंजय मंत्र की व्याख्या" (चर्चा अंक-2880) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार सर
हटाएंजय भोले
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
शुक्रिया सर जी
जवाब देंहटाएंनिमंत्रण :
जवाब देंहटाएंविशेष : आज 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच ऐसे ही एक व्यक्तित्व से आपका परिचय करवाने जा रहा है जो एक साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य सुधा' के संपादक व स्वयं भी एक सशक्त लेखक के रूप में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं। वर्तमान में अपनी पत्रिका 'साहित्य सुधा' के माध्यम से नवोदित लेखकों को एक उचित मंच प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।