नारी यानि महिला यानि ऊमन
इक्कीसवीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण वर्ग,
और इस महत्वपूर्ण वर्ग का आज है दिन
वूमन्स डे - महिला दिवस
तो क्या मान लिया जाय कि
अब नारी नहीं रही विवश?
क्योंकि मिल गया है इसे
साल के 365 में से एक दिवस?
जन्म देने और पालन से लेकर
घर - गृहस्थी - समाज - देश - दुनिया
सब जगह आधे से ज्यादा का योगदान
करने वाली महिलाओं के लिए सिर्फ एक दिन?
क्यों नहीं हो इनका - इनके लिए हर दिन?
क्या चल सकता है ये देश - ये संसार
एक कदम भी इनके योगदान के बिन?
नहीं न ? तो फिर क्यों इनके लिए एक दिन ??
मैं चाहता हूँ इनका - इनके लिए हर दिन
क्योंकि बेकार - बेसबब - बेमतलब है
हर घडी - हर लम्हा - हर दिन.........
माँ - बहन - बेटी - भाभी - पत्नी - प्रेमिका
सब ही तो हैं ज़रूरी इंसानी ज़िन्दगी के लिए,
इनकी ममता - इनका अपनापन - इनका प्यार
जैसे सांस है - धड़कन है किसी के लिए....
इसलिए हृदय से कामना है - शुभकामना है
इनके लिए - इनकी हर ख़ुशी के लिए !!!
और इस महत्वपूर्ण वर्ग का आज है दिन
वूमन्स डे - महिला दिवस
तो क्या मान लिया जाय कि
अब नारी नहीं रही विवश?
क्योंकि मिल गया है इसे
साल के 365 में से एक दिवस?
जन्म देने और पालन से लेकर
घर - गृहस्थी - समाज - देश - दुनिया
सब जगह आधे से ज्यादा का योगदान
करने वाली महिलाओं के लिए सिर्फ एक दिन?
क्यों नहीं हो इनका - इनके लिए हर दिन?
क्या चल सकता है ये देश - ये संसार
एक कदम भी इनके योगदान के बिन?
नहीं न ? तो फिर क्यों इनके लिए एक दिन ??
मैं चाहता हूँ इनका - इनके लिए हर दिन
क्योंकि बेकार - बेसबब - बेमतलब है
हर घडी - हर लम्हा - हर दिन.........
माँ - बहन - बेटी - भाभी - पत्नी - प्रेमिका
सब ही तो हैं ज़रूरी इंसानी ज़िन्दगी के लिए,
इनकी ममता - इनका अपनापन - इनका प्यार
जैसे सांस है - धड़कन है किसी के लिए....
इसलिए हृदय से कामना है - शुभकामना है
इनके लिए - इनकी हर ख़ुशी के लिए !!!
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