सोमवार, मार्च 15, 2021

चाय तू व्हिस्की न बन - उसकी तरह बिजली न बन...


चाय तू व्हिस्की न बन
उसकी तरह बिजली न बन,
उसकी देखा-देखी तू भी
उस सी ज़हरीली न बन...

तू कहाँ मीठी ओ भोली
और वो छप्पन छुरी,
तू है अच्छी हर तरह से
जबकि वो आगे बुरी...

ताज़गी दे तू जगाती
जबकि वो तो नींद लाती,
एक तू कि होश लाती
एक वो पागल बनाती...

फिर भी कहता हूँ कि
उसके चक्करों से दूर रह,
ऐसा ना हो कि कभी
तू भी नशे में चूर हो..

देख मैं एक आम इंसाँ
कप ओ प्याले कम ही हैं,
ये न हो तेरी वजह से
वो भी चकनाचूर हों..

ये न हो कि श्रीमतीजी
सौतन तुझे घोषित करें,
मायके से सेना लेकर
युद्ध वो घोषित करें...

इसलिए चर्चित की विनती
जैसी तू वैसी ही रह,
नाज़-नखरे-जादू-टोने
दुनियादारी से परे
तू तो मेरी सबसे अच्छी
प्यारी बच्ची जैसी रह...

- विशाल चर्चित

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15 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-03-2021) को    "अपने घर में ताला और दूसरों के घर में ताँक-झाँक"   (चर्चा अंक-4008)    पर भी होगी। 
    --   
    मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --  

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  2. ताज़गी दे तू जगाती
    जबकि वो तो नींद लाती,
    एक तू कि होश लाती
    एक वो पागल बनाती...

    क्या बात है !!लाज़बाब

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  3. वाह।
    चाय को आग्रह करती सुंदर रचना।

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  4. वाह व‍िशाल जी क्या खूब ही ल‍िखा क‍ि ...देख मैं एक आम इंसाँ
    कप ओ प्याले कम ही हैं,
    ये न हो तेरी वजह से
    वो भी चकनाचूर हों.....वाह

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