शुक्रवार, अप्रैल 30, 2021
ग़ज़ब हो दाढ़ीवाले बाबा...
#corona_pandemic, #har-har, #modi_joke, #कोरोना_महामारी, #हर_हर_मोदी, #मोदी_जोक
गुरुवार, अप्रैल 29, 2021
कोई दवा दे रहा कोई दुआ दे रहा...
#corona_shayri, #covid_shayri, corona_poetry, #covid_poetry
#कोरोना_कविता, #कोविड_कविता, #कोरोना_शायरी, #कोविड_शायरी
सोमवार, अप्रैल 26, 2021
गुरुवार, अप्रैल 22, 2021
लॉकडाउन के चार विचित्र दृश्य
........... दृश्य - 01 ............
ब्रेड - बटर - टी ले माँ आयी
उठ ना बेटा धूप हो आयी,
देर रात तक मत जागा कर
इतनी अच्छी नहीं पढ़ाई...
माँ के जाते ही फोन आया
लगा कलेजा मुंह को आया,
वो बोली कि मैं गुस्सा हूँ
मुझसे मिलने क्यों नही आया...
लड़का बोला सॉरी बेबी
तू ही माता - तू ही देवी,
लॉकडाउन तक रुक जा वर्ना
पुलिस दोनों को ही लट्ठ देगी...
........... दृश्य - 02 ............
जब से लॉकडाउन है यार
जीना समझो है दुश्वार,
घरवाली तो मौज में है पर
ऑफिसवाली बेकरार...
जब भी फोन करेगी रोना
बहुत मिसिंग यू माई सोना,
और बताओ तुम कैसे हो
मुझसे दूर ठीक तो हो ना...?
पत्नी बोली फोन रखो ना
सारे हैं बर्तन तुमको धोना,
मियां मजनूँ के मन में गूँजा
काश इसको हो जाये कोरोना...
........... दृश्य - 03 ............
श्रीमती जी का है फरमान
कंट्रोल करो अब खान - पान,
लॉकडाउन में फैल रहे सब
शुरू करो योगा अभियान...
बच्चे तो ख़ैर हल्के - फुलके
योगा भी मस्ती में करते,
श्रीमान् जी होशियार हैं
आसान - आसान आसन करते...
लेकिन श्रीमती का जोश
वजन के चक्कर में ना होश,
धनुरासन में मोच आ गयी
पड़ी हैं बिस्तर पर बेहोश...
........... दृश्य - 04 ............
लॉकडाउन में सारे घर पर
सबका जिम्मा है टीवी पर,
एक रिमोट तो छीना-झपटी
टूट गया है वो भी गिरकर...
बच्चों को कार्टून देखना
भैया जी को क्रिकेट देखना,
भाभी जी सीरियल की प्यासी
दादी को प्रवचन है देखना...
ऐसे में टाइम टेबल बेस्ट
टीवी को सिर्फ रात को रेस्ट,
और एक दिन हुआ जो बंद
मेकेनिक बोला 'इट्स डेड'...
- विशाल चर्चित
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रविवार, अप्रैल 18, 2021
फिर कोरोना फिर से मौतें...
फिर कोरोना फिर से मौतें
बोलो कविता कैसे हो,
हर तरफ है त्राहि - त्राहि
बोलो कविता कैसे हो...?
कैसे रोमांटिक हों बातें
जबकि अपने हाॅस्पिटल में,
महफ़िलें मायूस सारी
बोलो शायरी कैसे हो...?
हर तरफ फैली उदासी
हर तरफ कोहराम है,
हर तरफ रोने की बातें
हँसना - हँसाना कैसे हो...?
जिस तरफ जाती नज़र है
सिर्फ़ अँधेरा दिख रहा,
ऐसे में पहचान कल के
रास्तों की कैसे हो...?
क्या करें कमियाँ गिनाएँ
या निभायें अपने फ़र्ज़,
लाभ उठाते इस घड़ी का
बोलो उनको क्या कहें...?
- विशाल चर्चित
#covidpoetry, #covidpoetry, #lockdown, #कोरोना_कविता, #कोविड_कविता
बोलो कविता कैसे हो,
हर तरफ है त्राहि - त्राहि
बोलो कविता कैसे हो...?
कैसे रोमांटिक हों बातें
जबकि अपने हाॅस्पिटल में,
महफ़िलें मायूस सारी
बोलो शायरी कैसे हो...?
हर तरफ फैली उदासी
हर तरफ कोहराम है,
हर तरफ रोने की बातें
हँसना - हँसाना कैसे हो...?
जिस तरफ जाती नज़र है
सिर्फ़ अँधेरा दिख रहा,
ऐसे में पहचान कल के
रास्तों की कैसे हो...?
क्या करें कमियाँ गिनाएँ
या निभायें अपने फ़र्ज़,
लाभ उठाते इस घड़ी का
बोलो उनको क्या कहें...?
- विशाल चर्चित
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मंगलवार, अप्रैल 13, 2021
कहीं कोरोना - कहीं चुनाव...
कहीं कोरोना - कहीं चुनाव
कहीं पे बंदी - कहीं जमाव,
ग़ज़ब तरक्की पे पहुँचे हम
घर में बैठ कमाव - खाव...
ग़ज़ब बीमारी एक साल से
नाम कोरोना नाइन्टीन,
कोई कहे अमरीका लाया
कोई कहता लाया चीन...
एक थाली के चट्टे-बट्टे
दोनों चाह रहे थे राज,
यही वजह ले आये वायरस
और गिरा दी है ये गाज़...
हमने भी खूब नाम कमाया
थाली पीटी दिया जलाया,
लगा कोरोना चला गया है
लेकिन ये तो फिर लौट आया...
अब सोचा सब भाड़ में जाये
बाल बढ़ायें - दाढ़ी बढ़ायें,
साधु - संत लगें ताकि हम
थोड़े और महान हो जायें...
देश से बाहर बहुत हो चुका
अब राज्यों पर ध्यान लगायें,
जहाँ नहीं है अपनी सत्ता,
वहीं पे जाकर धुनी रमायें...
बढ़े कोरोना बढ़ते - बढ़ते
दिल्ली के बाॅर्डर पर जाय,
जितने भी नेता किसान हैं
सबको हाॅस्पिटल ले जाय...
हाहाकार मचे चहुँ ओर
तब हम फिर टीवी पर आयँ,
कहें भाइयों - बहनों आओ
हम फिर से एकजुट हो जायँ...
आज रात को आठ बजे सब
अपनी - अपनी छत पर आय,
दो गज दूर हो मास्क लगाकर
अबकी माथा पीटा जाय...
नये तरीके की वैक्सीन
जल्दी से बनवायी जाय,
इधर - उधर का बहुत हो चुका
अब इससे क्रांति लायी जाय...
अलग-अलग टाइप की वैक्सीन
लगवाना अनिवार्य हो जाय,
आपात स्थिति है बोल के सबको
एक तरफ से ठोंकी जाय...
वैक्सीन में ऐसा कुछ हो
लगते ही सब मस्त हो जायँ,
जितने भी विरोध करते हों
सारे भजन - कीर्तन गायँ...
पाक - बांग्लादेश - श्रीलंका
इनको तो दें फ्री वैक्सीन,
ताकि ये एक सुर में बोलें
भारत दोस्त है - दुश्मन चीन...
हँसी - हँसी में बात कही ये
लेकिन बात बड़ी ग॔भीर,
काँटे से काँटा निकले है
ज़हर से जाये ज़हर की पीर...
कहते हैं 'चर्चित' कि जागो
ओ माय ह्वाइट दाढ़ी मैन,
छोड़ इलेक्शन हिस्ट्री सोचो
कम आॅन डू इट यू कैन...
- विशाल चर्चित
कहीं पे बंदी - कहीं जमाव,
ग़ज़ब तरक्की पे पहुँचे हम
घर में बैठ कमाव - खाव...
ग़ज़ब बीमारी एक साल से
नाम कोरोना नाइन्टीन,
कोई कहे अमरीका लाया
कोई कहता लाया चीन...
एक थाली के चट्टे-बट्टे
दोनों चाह रहे थे राज,
यही वजह ले आये वायरस
और गिरा दी है ये गाज़...
हमने भी खूब नाम कमाया
थाली पीटी दिया जलाया,
लगा कोरोना चला गया है
लेकिन ये तो फिर लौट आया...
अब सोचा सब भाड़ में जाये
बाल बढ़ायें - दाढ़ी बढ़ायें,
साधु - संत लगें ताकि हम
थोड़े और महान हो जायें...
देश से बाहर बहुत हो चुका
अब राज्यों पर ध्यान लगायें,
जहाँ नहीं है अपनी सत्ता,
वहीं पे जाकर धुनी रमायें...
बढ़े कोरोना बढ़ते - बढ़ते
दिल्ली के बाॅर्डर पर जाय,
जितने भी नेता किसान हैं
सबको हाॅस्पिटल ले जाय...
हाहाकार मचे चहुँ ओर
तब हम फिर टीवी पर आयँ,
कहें भाइयों - बहनों आओ
हम फिर से एकजुट हो जायँ...
आज रात को आठ बजे सब
अपनी - अपनी छत पर आय,
दो गज दूर हो मास्क लगाकर
अबकी माथा पीटा जाय...
नये तरीके की वैक्सीन
जल्दी से बनवायी जाय,
इधर - उधर का बहुत हो चुका
अब इससे क्रांति लायी जाय...
अलग-अलग टाइप की वैक्सीन
लगवाना अनिवार्य हो जाय,
आपात स्थिति है बोल के सबको
एक तरफ से ठोंकी जाय...
वैक्सीन में ऐसा कुछ हो
लगते ही सब मस्त हो जायँ,
जितने भी विरोध करते हों
सारे भजन - कीर्तन गायँ...
पाक - बांग्लादेश - श्रीलंका
इनको तो दें फ्री वैक्सीन,
ताकि ये एक सुर में बोलें
भारत दोस्त है - दुश्मन चीन...
हँसी - हँसी में बात कही ये
लेकिन बात बड़ी ग॔भीर,
काँटे से काँटा निकले है
ज़हर से जाये ज़हर की पीर...
कहते हैं 'चर्चित' कि जागो
ओ माय ह्वाइट दाढ़ी मैन,
छोड़ इलेक्शन हिस्ट्री सोचो
कम आॅन डू इट यू कैन...
- विशाल चर्चित
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