शनिवार, मार्च 31, 2012

जिस काम को दिल ना करे - ना करे तो अच्छा....

जिस काम को दिल ना करे - ना करे तो अच्छा
दिल के मामले में दिमाग ना लगे तो अच्छा

यूं तो तन्हा ज़िंदगी कभी अच्छी नहीं लगती
जो तन्हाई में तन्हाई ना लगे तो अच्छा

दिलबर को बेवफा होना है तो होगा ही
फिर भी अगर पता हमें ना लगे तो अच्छा

घुलो - मिलो - बातें करो चाहे जितनी मर्जी
पर सारे शहर से दिल ना लगे तो अच्छा

'चर्चित' तुम्हारी हर बात वैसे तो है सही 
लेकिन किसी के दिल को जो ना लगे तो अच्छा

मंगलवार, मार्च 27, 2012

एक नया सूर्य बन ......


एक नया सूर्य बन
     कर प्रकाशित तू गगन
           मन में नव उमंग भर
                  कर प्रयास तू सघन....

                    लक्ष्य पर रहे निगाह
                          मन में बस एक चाह
                                  बन कठोर चल सतत
                                         पकड़ कर बस एक राह....

                                                 नव दिशा में कूच कर
                                                       जीत ले नया शिखर
                                                              उन्नति-यश-कीर्ति का
                                                                    अब तू शंखनाद कर....

                                                                             अडचनें तू लांघ जा
                                                                                    बाधाओं के पार जा
                                                                                           देख खडा स्वागत में
                                                                                                  एक नव प्रभात जा....

शनिवार, मार्च 17, 2012

ये मेरे कुछ शेर.....

या सुलगना है तो सुलगो या बनो दिल का चिराग
हमने तो दिल का अँधेरा छोड़ रखा है यूं ही......
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मुहब्बत पार करती है जब अपनी सरहदें सारी
तो होता है हमारा दिल एक बच्चे की मां का दिल
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शरारत - दिल्लगी सबसे बहुत अच्छी नहीं होती
यहाँ जालिम जमाने में सभी ' विशाल ' नहीं होते
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देख लो दिल हारना तुमको पड़ेगा
एक दिन जिद मारना तुमको पड़ेगा
बस के बाहर होंगी जब बेचैनियाँ
नाम मेरा पुकारना तुमको पड़ेगा....
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ग़र वाकई हमसे मुहब्बत हो गयी
फिर इसतरह दिल्ली - दौलताबाद क्यों ??
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खुदी जीतें - खुदी हारें, खुदी ऐलान करते हैं
मुहब्बत हमसे है लेकिन हमें हैरान करते हैं
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आजकल देर से तुम आते हो
कहाँ-कहाँ बिजलियाँ गिराते हो ?
यूं तो माना नकाब रहता है
मगर नज़रों से तो कहर ढाते हो ? 
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अब भी है वक्त सम्हलो बढ़ा दो कदम
वरना ये ज़िन्दगी पछताने में जायेगी
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मिजाज-ए-रुत तो बदले पर
कोई कोशिश उधर से हो
"मियाँ की दौड़ मस्जिद तक"
से सोचो क्या बदलता है.....
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वो मुझे समझा रहे सलीका-ए-मुहब्बत
खुद जिनको दिल में आना-जाना नहीं आता
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क्या खूब है मुकाम ये भी आशिकी में 'चर्चित'
कोई दिल तुम्हारी खातिर चुपचाप धडके जा रहा
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याद मत दिला मुझे अपनी गली का रास्ता
कह दिया न अब नहीं है तेरा मेरा वास्ता ?!
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फ़िक्र करो तुम कि तुम्हें कौन मिलेगा यहाँ
हम तबीयत से फ़कीर एक दर नहीं तो क्या
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कहने को कह दिया कि याद बहुत करते हैं
लेकिन बात नहीं करते बगल से गुज़रते हैं
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ज़िन्दगी के फलसफे कुछ रास यूं आये हमें
कि दिल हमारा एक हद फलसफा खुद हो गया...
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लगता है मेरे सवालों का जवाब नहीं सूझा
दिल-आशिकी समेट कर आज वो फरार हैं
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पलटकर देखना हमसे न होगा अब तुझे जालिम
बहुत तडपा है दिल तुझसे अरे बेदर्द ओ जालिम
सुकूं जितना है काफी है हमारी ज़िन्दगी में अब
तड़प तू अब कि क्या खोया हमें खो करके ओ जालिम
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बहुत गहरी उदासी है बहुत मायूस लगते हो
हमारी ही तरह दिल से बड़े मशरूफ लगते हो
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बाकी तो इस शहर का मालूम नहीं मुझको
ये दिल तुम्हारी चर्चा हर वक्त किया करता है
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हुश्न समझाने पे जब आये, नज़र कातिल नज़र आये
उठें जब उंगलियाँ उनकी, हमें खंज़र नज़र आयें......
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वादा-ओ-फ़र्ज़ सारे निभाओ मगर फिर भी
कोई जाता है तो जाए बेवफा हो जाए........
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पता है कि तुम चोट खाए हुए हो
बहुतों को तुम आजमाए हुए हो
मगर इतनी नफ़रत भी अच्छी नहीं
कि जमाने से दूरी बनाए हुए हो
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न दूर थे - न दूर हैं - न दूर कभी होंगे
आवाज़ दिल से एक बार देके ज़रा देखो
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मुहब्बत की बैशाखियों पे चलोगे
तो सोचो कि तुम यूं कहाँ तक चलोगे
बहुत मतलबी ज़िन्दगी का सफ़र है
ठोकर लगेगी जो दिल से चलोगे....
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मुहब्बत की कैसी ये लत लग गयी है
कि वो आगे-आगे और हम पीछे-पीछे
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इन आँखों में आंसू क्यों मेरे होते हुए जानां
कौन सा दर्द भारी है मेरे इस प्यार पे जानां
कोई है घाव जो गहरा दिखाओ तो भला मुझको
बना दूं साँसों को मरहम अगर राहत मिले जानां
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सामने हों तो छिड़कते हैं जान हम पर
वर्ना ज़माने से फुरसत ही कहाँ उनको

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शुक्रवार, मार्च 16, 2012

सचिन के 100 वें शतक का जश्न......

मित्रों,
ये अत्यंत हर्ष एवं गर्व की घडी है..........आइये हम सब मिलकर जश्न मनाएं.........क्योंकि एक ही झटके में हमारी सारी समस्याएं ख़त्म हो गयी हैं.......अब हममे से किसी को काम करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी........भुखमरी से अब कोई नहीं मरेगा.........हर कोई शिक्षित होगा..........सबको रोज़गार मिलेगा........महंगाई अब नहीं सताएगी........भ्रष्टाचार और घोटाले अब नहीं होंगे........किसी भी बीमारी से अब कोई नहीं मरेगा........धर्म व जाति के नाम पर अब कभी दंगे नहीं होंगे............हा  हा  हा  हा   हा  हा  हा..........अब आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या चमत्कार हो गया............तो जान लीजिये चमत्कार ही हुआ है............अपने लाडले सचिन ने सौवां शतक लगा कर वो काम कर दिखाया है जो पूरे इतिहास में आज तक कोई नहीं कर सका है..........है न गर्व की बात ?!!!!..........अरे इसके लिए तो सचिन को भारत रत्न नहीं बल्कि ब्रह्माण्ड रत्न दिया जाना चाहिए............क्योंकि उनके इस महान कार्य से समस्त मानव जाति का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है........इससे समस्त प्राणियों का कल्याण होगा.........अब लोग पूछेंगे 'वो कैसे'.........तो भई अभी जश्न की घडी है जश्न मनाते हैं........."क्या - क्यों - कैसे".........इस पर बाद में सोचेंगे............जय हिंद !!! 

गुरुवार, मार्च 08, 2012

महिला दिवस.....


नारी यानि महिला यानि ऊमन
इक्कीसवीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण वर्ग,
और इस महत्वपूर्ण वर्ग का आज है दिन
वूमन्स डे - महिला दिवस
तो क्या मान लिया जाय कि
अब नारी नहीं रही विवश?
क्योंकि मिल गया है इसे
साल के 365 में से एक दिवस?
जन्म देने और पालन से लेकर
घर - गृहस्थी - समाज - देश - दुनिया
सब जगह आधे से ज्यादा का योगदान
करने वाली महिलाओं के लिए सिर्फ एक दिन?
क्यों नहीं हो इनका - इनके लिए हर दिन?
क्या चल सकता है ये देश - ये संसार
एक कदम भी इनके योगदान के बिन?
नहीं न ? तो फिर क्यों इनके लिए एक दिन ??
मैं चाहता हूँ इनका - इनके लिए हर दिन
क्योंकि बेकार - बेसबब - बेमतलब है
हर घडी - हर लम्हा - हर दिन.........
माँ - बहन - बेटी - भाभी - पत्नी - प्रेमिका
सब ही तो हैं ज़रूरी इंसानी ज़िन्दगी के लिए,
इनकी ममता - इनका अपनापन - इनका प्यार
जैसे सांस है - धड़कन है किसी के लिए....
इसलिए हृदय से कामना है - शुभकामना है
इनके लिए - इनकी हर ख़ुशी के लिए !!!

भाई लोगों होली जम के खेलो, लेकिन........

मेरे सभी दोस्तों को होली की शुभकामना...........भाई लोगों होली जम के खेलो............लेकिन इतना ध्यान रखना कि बाद में रंग छुडाने में नानी न याद आ जाए.......भांग घोटने वालों से निवेदन है कि ज़रा सम्हाल के..... ....वर्ना पता लगा कि खाने पे आये तो उलटी की नौबत.........गाने पे आये तो कान का बैंड बज जाये........नाचने पे आये तो धूल उड़ने लगे..........अब बात पियक्कड़ भाइयों की ..........तो भाई लोगों.............खम्बा - पौवा-क्वार्टर - अदधा - बोतल की व्यवस्था तो होगी ही आज........... और फुल मूड भी बनेगा आज.........लेकिन प्रभू आपसे हाथ जोड़ कर विनम्र निवेदन है कि ......... ' तेरी माँ की - तेरी बहन की' मत कीजियेगा...... महिला दिवस पर सभी माँ - बहनों की लाज रख लीजियेगा......... एक बात और कि कपडा फाडियेगा लेकिन एक - दो जोड़ा छोड़ दीजियेगा......... ताकि कल बाहर निकलने लायक बचें.......  इसके अलावा उतना ही पीजिएगा जितनी कि पच जाए......... नहीं तो पता लगा कि कल किसी नाले से उठाकर लाये गए..... अब आप जैसे राजा - महाराजाओं के लिए नाले और गटर में दरबार लगाना शोभा नहीं देता........... बस इतना ही......... बाकी मैं तुच्छ - मामूली सा प्राणी आपको क्या समझा सकता हूँ........... अपनी इतनी औकात कहाँ....... कहाँ आप राजा भोज.........कहाँ मैं गंगू तेली...........!!!

 

जोगीरा सारारारारा....

हमने फेंका गुब्बारा है भरके कई रंग
आओ होली खेलो दोस्तों शुभकामनाओं के संग
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा....
खुशियों की अबीर बरसे - बरसे ढेरों प्यार
जीवन में सबके हो हमेशा हंसती हुई बहार
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा....
जो, जो चाहे - वो, वो पाए कोई चाहत न बच पाए
जब देखें - जिसको देखें वहीं हँसता नघ्र आये
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा.... 
धन - दौलत, इज्जत - शोहरत कहीं कमी कोई ना हो
हे ईश्वर, कुछ ऐसा कर कि इस जग में दुखी कोई ना हो
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा.... 
सभी जगह हो अमन - चैन, एकता और भाईचारा हो
सभी दिलों में मानवता - नैतिकता का बोलबाला हो
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा.... 
ष्चर्चितष् की है चाह यही हरा-भरा-सुखमय संसार
यही कुदरती रंग है सच्चा होली का असली श्रृंगार
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा....