मंगलवार, जुलाई 26, 2016

सोनू यार मोनू यार बारिश कितनी अच्छी यार...

 
सोनू यार मोनू यार
बारिश कितनी अच्छी यार,
मम्मी बोली नहीं भीगना
छतरी कितनी छोटी यार...

चल कागज की नाव बनायें
पानी में उसको तैरायें,
तितली रानी को भी उसमें
बिठा के दोनों सैर करायें...

अरे देख तो वो है चींटा
चींटे पर चल मारें छींटा,
अच्छा बेचारे को छोड़
आ हम दोनों खायें पपीता...

वाह मस्त क्या हरियाली है
लगता जैसे खुशहाली है,
ठंडी-ठंडी हवा बह रही
दिल को खुश करने वाली है...

पापा कहते पढ़-पढ़-पढ़
होता जा रहा तू मनबढ़,
कीचड़-पानी में मत खेल
नये बहाने तू मत गढ़...

पापा को कैसे समझायें
हम बच्चे कैसे बंध जायें,
बारिश हो और हम ना भीगें
क्या हम भी पापा बन जाये?

- विशाल चर्चित

रविवार, जुलाई 24, 2016

बनो ऐसे कि मंजिल को हो इन्तजार तुम्हारे पहुंचने का...

 
बनो ऐसे कि
मंजिल को हो इन्तजार
तुम्हारे पहुंचने का,
और अगर ऐसा न हो तो
रह जाए एक मलाल उसे
तुम्हारे न पहुंचने का...

बनो ऐसे कि
हर महफिल में छाए रौनक
एक तुम्हारे आने से,
छा जाये हर तरफ मातम
एक तुम्हारे जाने से...

बनो ऐसे कि
बहुत बड़ी हो जाएं
तुम्हारे आस पास की
छोटी - छोटी खुशियां भी,
सिमट कर न के बराबर
रह जाये अपनी ही नहीं
दूसरों के गमों की दुनिया भी...

बनो ऐसे कि
हर रिश्ता तुमसे
जगमगाता सा नजर आये,
दिलो जान से निभाने पर भी
अगर कोई जाए तो पछताये कि
यार बहुत बड़ी गलती कर आये...

बनो ऐसे कि
हर हुनर - हर फन में
एक मिसाल हो जाओ,
तो देर किस बात की है
जो बीता सो बीता
अब तो होश में 'विशाल' हो जाओ...

- विशाल चर्चित

शनिवार, जुलाई 23, 2016

तब मौन हो जाता है अत्यंत आवश्यक...



मौन हो जाता है
अत्यंत आवश्यक,
तब -
जब हो गया हो
बहुत अधिक
कहना या सुनना,
जब लगने लगे कि
अब नहीं चाहते लोग
आपकी सुनना...
जब नहीं चल रहा हो
किसी पर अपना बस,
प्रतिकूल परिस्थितियों
के कारण जब
नहीं रह जाये
जीवन में कोई रस...
जब व्यथित हो चला
हो आपका मन,
जब नीरसता से भरा
हो वातावरण...
तब हो जायें शांत
तब हो जायें स्थिर
तब हो जायें उदासीन
तब हो जाये मौन...
क्योंकि -
मौन आत्मचिन्तन है
मौन आत्ममंथन है
मौन है परिमार्जन हृदय का
मौन आत्मा का स्पंदन है...

- विशाल चर्चित