गुरुवार, मई 06, 2021

चहुँओर मृत्यु का हो तम जब...

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चहुँओर मृत्यु का हो तम जब
ये हृदय प्रकाशित कैसे हो,
जब घोर उदासी जीवन में
व्यवहार सुवासित कैसे हो...

कैसे मैं दिलासा दूँ झूठी
कैसे मैं कहूँ हाँ संभव है,
कैसे मैं बनूं स्वार्थी इतना
इस जीवन में ये असंभव है...

है ये ही प्रयास जियूँ जब तक
मुझसे कोई अन्याय न हो,
ना कोई हृदय हो व्यथित और
मेरे प्रति उसमें हाय न हो...

उपलब्धि बड़ी - यश - कीर्ति बड़ी
पद - मान की कोई भी चाह नही
कर्तव्य समस्त हों यदि पूरे
फिर इससे उत्तम राह नहीं...

हे ईश ये शीश झुके न कभी
ना कष्ट असाध्य ही आए कभी,
इतनी क्षमता तो प्रदान करो
कोई आये तो खाली न जाये कभी...

- विशाल चर्चित

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