सोमवार, दिसंबर 21, 2020

बहुत सुकून मिला है तेरे फिर आने से...



बुझे चराग़ जले हैं जो इस बहाने से
बहुत सुकून मिला है तेरे फिर आने से

बहुत दिनों से अंधेरों में था सफ़र दिल का
इक आफ़ताब के बेवक़्त डूब जाने से

नया सा इश्क नयी सी है यूँ तेरी रौनक़
लगे कि जैसे हुआ दिल ज़रा ठिकाने से

चलो कि पा लें नई मंज़िलें मुहब्बत की
बढ़ा हुआ है बहुत जोश चोट खाने से

क़सम ख़ुदा की तेरे साथ हम हुए चर्चित
ज़रा सा खुल के मुहब्बत में मुस्कुराने से

- VISHAAL CHARCHCHIT

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13 टिप्‍पणियां:

  1. प्रणाम सर... एवं आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिये...।

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  2. बहुत दिनों से अंधेरों में था सफ़र दिल का
    इक आफ़ताब के बेवक़्त डूब जाने से
    बहुत बहुत सुन्दर , सराहनीय

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