गुलजार साहब को जन्मदिन की शुभकामना उन्हीं के अंदाज में लिखी एक नज्म से....
नज्म और गीत
एह्सास ही नहीं होने देते
कि कलम ही नहीं
जिन्दगी भी चलती है
साथ-साथ
आहिस्ता-आहिस्ता...
आ जाती है कभी-कभार
इसको हौले से हंसी भी
अपने ही तमाम ख्वाबों
तमाम खयालों पर
जब देखती है पलट कर...
लगाती है हिसाब-किताब
क्या पाया - क्या रह गया
क्या और होता तो अच्छा था
और बढ़ जाती है चमक
कागज पर उतरती
उस खास रौशनाई की,
मिल जाता है एक नया चश्मा
दुनिया को एक नये
नजरिये से देखने के लिये...
काफी पुराना है ये सिलसिला
काफी दिलकश और हसीन भी
ख्वाहिश है हमारी कि जारी रहे
ये सब कु्छ बस यूं ही
हमेशा - हमेशा....
गुलजार साहब
आपको - आपकी कलम को
सलाम करते हुए
//// जन्मदिन मुबारक ////
- विशाल चर्चित
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को "समय व्यतीत करने के लिए" (चर्चा अंक-3808) पर भी होगी।
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श्री गणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आभार सर...एवं आपके लिये भी गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें...
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