काहे की आजादी का दिन
घर में कैद हुए बैठे हैं,
टीवी पर उत्सव की खबरें
पर हम भरे हुए बैठे हैं...
अंग्रेजों का बाप कोरोना
कैद में दुनिया कर डाला,
मर्द भी मुँह ढक करके निकलें
मजबूर इतना कर डाला...
इस सत्यानाशी वायरस से
पीछा जाने कब छूटेगा,
अगर मिले हर भारतवासी
इसको खलबट्टे में कूटेगा...
चाइना के पँचफुटिया खुद को
विश्व-विजेता समझ रहे हैं,
एक तरफ बीमारी बाँटी
अब दुनिया से उलझ रहे हैं...
लेकिन इनको पता नहीं कि
जब चींटी की मौत आती है,
नये-नये हैं पर लग जाते
जिनपर उड़ती - इतराती है...
अपने पीएम हैं मोदी जी
कुछ भी मुमकिन कर सकते हैं,
चाईना के इर्द - गिर्द
पूरा विश्व इकट्ठा कर सकते हैं...
कहते हैं उम्मीद पे दुनिया
शुरू से अब तक टिकी हुई है,
कभी खबर तो अच्छी होगी
आँखें टीवी पर टिकी हुई हैं...
काम-काज सब ठप्प पड़ा है
फिर भी भारत माता की जय,
सबकुछ जल्दी ही ठीक होगा
बोलो भारतमाता की जय...
'चर्चित' को विश्वास है यारों
यहाँ से सबकुछ बदलेगा,
यहाँ से भारत विश्व-गुरू बन
सबको नई दिशा देगा...
इसी आशा और विश्वास के साथ
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई
- विशाल चर्चित
#15_aug, #freedom_day, #स्वतंत्रता_दिवस. #आजादी, #कोरोना, #corona
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (16-08-2020) को "सुधर गया परिवेश" (चर्चा अंक-3795) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सादर आभार सर... एवं आपको भी हार्दिक बधाई
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई जी
हटाएंवाह लाजवाब! कहीं तंज कहीं व्यंग्य , कहीं सरल सरस रचना।
जवाब देंहटाएंजय हिन्द।
आपका हृदय से आभार वीणा जी... जय हिन्द।
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