देश के करोड़ों युवा
छोड़-छाड़ कारोबार
हैं जीने-मरने को तैयार,
आशारामों और गुरुमीतों
के इर्द गिर्द ही
घूमता हुआ इनका संसार...
देश की बेचारी सरकार
इनके आगे हो रही लाचार,
लाखों की पुलिस फोर्स
इनको काबू करने में
हो रही है बेकार...
तमाम मीडिया वाले
कर दिया अपने को
इनके हवाले,
जहां देखो वहां
दिख रही बस इनकी ही खबरें,
इतनी है इनकी ताकत
बाप रे - बाप रे...
ऐसे में 'चर्चित' का
दिमाग भिन्नाया,
चीन और पाक का
इलाज नजर आया,
हर एक गुरुमीत समर्थक
मानव बम नजर आया...
कोई इन्हें समझाओ
सरहद पर ले जाओ,
दुश्मन देश की सीमा में
तिरंगा अपना फहराओ...
- विशाल चर्चित
त्यंत विचारणीय ! एवं मंथन योग्य विषय ! विचार करना होगा !आपकी रचना बहुत ही सराहनीय है ,शुभकामनायें ,आभार
जवाब देंहटाएं"एकलव्य"
बहुत - बहुत शुक्रिया भाई
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल jbfवार (27-08-2017) को "सच्चा सौदा कि झूठा सौदा" (चर्चा अंक 2709) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हृदय से आभार सर जी... शुभ रविवार
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद भाई जी
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