मंगलवार, जून 27, 2017

तू जो साथ है.....


तू जो साथ है दिन - रात है मेरी ज़िन्दगी सौगात है
तू जो एक पल को भी दूर हो हर बात फिर बेबात है

तू बसा है जबसे निगाह में लगे हर तरफ मुझे रौशनी
तू जो रूठ जाये अगर कभी तो फिर अश्कों की बरसात है

तू दिल हुआ धड़कन हुआ मेरी साँसों की थिरकन हुआ
तू जो है तो है ये वजूद अब नहीं बेवजह कायनात है

तू उतर चूका है लकीर में मेरी हाथों की कुछ इस कदर
तू जो मोड़ ले अब मुंह अगर लगे लुट चुकी ये हयात है

तू जुड़ा उड़ीं ख़बरें कई अजी लो गया अब तो 'विशाल'
तू हिला नहीं मेरे साथ से तो ख़बर में अपना ये साथ है

- विशाल चर्चित

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (29-06-2017) को
    "अनंत का अंत" (चर्चा अंक-2651)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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