बचपना वचपना मस्तियां वस्तियां
भूल बैठे हैं हम तख्तियां वख्तियां
अब वो गेंदों से बचपन का रिश्ता नहीं
घूमते थे कभी बस्तियां बस्तियां
टीवी नेट की लतें लग गयीं इस कदर
अब लुभाती नहीं कश्तियां वश्तियां
खुदकुशी तक की नौबत पढ़ाई में है
क्या करेंगे मटरगश्तियां वश्तियां
ऐब बच्चों में तो चाहिये ही नहीं
बस बड़े ही करें गल्तियां वल्तियां
- विशाल चर्चित
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलमंगलवार (09-08-2016) को "फलवाला वृक्ष ही झुकता है" (चर्चा अंक-2429) पर भी होगी।
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मित्रतादिवस और नाग पञ्चमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हृदय से आभार सर जी
जवाब देंहटाएंटीवी नेट की लतें लग गयीं इस कदर
जवाब देंहटाएंअब लुभाती नहीं कश्तियां वश्तियां
वाह बहुत सुंदर। न रहे वे दिन न ही वो बचपन।
BAHUT - BAHUT SHUKRIYA JI
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