हे माखन के चोर तुम्हारा स्वागत है
हे राधा चितचोर तुम्हारा स्वागत है
आओ लाओ सतयुग त्रेता द्वापर तुम
ये कलियुग घनघोर तुम्हारा स्वागत है...
छेड़ो ऐसी बंसी की धुन जग झूमे
तुम बोलो जैसे वैसे ही जग घूमे
कर दो कुछ ऐसा कि प्रेम की पवन चले
हे मनमोहन आओ तुम्हारा स्वागत है...
फिर से मित्र सखाओं का तुम नारा दो
व्याप्त अनैतिकताओं को घाव करारा दो
दिखलाओ लीला ऐसी कि पाप मिटे
हे लीलाधर आओ तुम्हारा स्वागत है...
हे लीलाधर आओ तुम्हारा स्वागत है...
दो गीता का ज्ञान सभी को नई तरह से
खोलो अंतर्मन के द्वार सभी के नई तरह से
काम क्रोध मद मोह सभी की अति रोको
हे योगिराज - हे कृष्ण तुम्हारा स्वागत है
हे 'सबसे चर्चित मित्र' तुम्हारा स्वागत है...
सभी इष्टमित्रों के लिये जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना सहित....
- विशाल चर्चित
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-08-2016) को "जन्मे कन्हाई" (चर्चा अंक-2446) पर भी होगी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार सर एवं आपको भी हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर भक्तिपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत शुक्रिया भाई जी
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