शनिवार, नवंबर 22, 2014

आपके इस भैंसे को भी हंसायेंगे...


कल रात क्या बतायें
एक सपना ऐसा आया,
देखा कि हम हो गये
पूरे के पूरे 78 के और 
अंत समय अपना आया...
पड़ गये सोच में कि
दिखने में हैं हट्टे - कट्टे
न कोई रोग - न बीमारी,
ऐसे में भला कैसे 
हो जायेगी मौत हमारी...
यही सब उल - जुलूल
चल रहा था सोच विचार,
अचानक हुआ उजाला
छंट गया अंधकार
सामने हमारे यमराज जी
चुके थे पधार ...
डर तो लगा पर हास्य कवि हैं 
आदत से बाज कहां से आते,
कह दिया -
"अरे प्रभु आप ?!
इतना कष्ट उठाने 
की क्या जरूरत थी
हमारे लिये आपको
भैंसे से आने की क्या जरूरत थी?!
थोड़े दिन रुक जाते,
हम आपके लिये खरीद कर 
नई गाड़ी भिजवाते...!"
प्रभु बोले -
"अबे उल्लू किसको बनाता है?!
एक घर तक तो ले नहीं पाया
हमें गाड़ी का ख्वाब दिखाता है?!"
हमने हाथ जोड़कर कहा -
"क्षमा प्रभु क्षमा
हमारे सत्कर्मों पर
कुछ तो तरस खाइये,
साल - दो साल इस मामले को
आगे खिसकाने का 
कोई जुगाड़ हो तो बतलाइये...
हम दो - चार साल बाद
बड़े कवि बन जायेंगे
तो खुद ही चले आयेंगे,
यदि आप कहें तो अपने साथ
आठ - दस कवियों को ले आयेंगे,
रोज कवि सम्मेलन करायेंगे
एक से एक चुटकुले सुनायेंगे
आप ही नही आपके 
इस भैंसे को भी हंसायेंगे..."

- विशाल चर्चित

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-11-2014) को "काठी का दर्द" (चर्चा मंच 1806) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. बहुत - बहुत शुक्रिया मयंक सर जी..... आपके स्नेह को नमन है !!!!

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  2. शानदार रचना ....
    यदि आप कहें तो अपने साथ
    आठ - दस कवियों को ले आयेंगे,
    रोज कवि सम्मेलन करायेंगे
    एक से एक चुटकुले सुनायेंगे
    आप ही नही आपके
    इस भैंसे को भी हंसायेंगे..." :)

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  3. बहुत सुन्दर भाव भर दिए है आपने इस पोस्ट में...

    यदि आप कहें तो अपने साथ
    आठ - दस कवियों को ले आयेंगे,
    रोज कवि सम्मेलन करायेंगे

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