गाय भैंस बकरी और लिये साइकिल
लद रहा हिन्दुस्तान यहां वहां आये दिन
रेल अपने बाप की पटरी उखाड़ लेव
काहे की है मुश्किल घर मा बिछाय देव
सब जगह भीड़ है का करे जनता
जल्दी बनाय लेव काम जैसे बनता
हम मनमानी करें गाली खायँ नेता
गाली नहीं खायेगा तो वोट काहे लेता
देश वेश बाद में काम मेरा पहले
तभी वोट दूंगा वर्ना निकल ले
लेन देन सीख लेव आगे बढ़ि जाओ
नाही घरे बैठि के खाली पछताओ
ज्यादा पढ़े लिखेगा तो नौकरी पायेगा
तीन - पांच आयेगा तो देश चलायेगा
कुछ नहीं आता तो बाबा बन जा रे
राम के नाम पर ऐश कर प्यारे
लगा घोर कलियुग कह रहे चर्चित
जितना हो धन बल उतने ही परिचित
- विशाल चर्चित
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (11-12-13) को अड़ियल टट्टू आपका, अड़ा-खड़ा मझधार-चर्चा मंच 1458 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआज 11-12-13 का सुखद संयोंग है।
सुप्रभात...।
आपका बुधवार मंगलकारी हो।
बढ़िया अभिव्यक्ति-
जवाब देंहटाएंआभार प्रिय चर्चित जी
bahut khubsurat
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