बहुत दुःख होता है जब
सुनने को मिलता है आज के
विद्यार्थियों - लाडलों के मुख से
टकला - गंजा - मोटा - पेटू
कानिया - बटला - टिंगू
अपने शिक्षक के लिए
अपने गुरु के लिए....
और लगा दिया जाता है बाद में
एक पुछल्ला सा "सर" का,
ताकि पता चले कि
हाँ बात हो रही है उन्हीं की
कि जिन्हें कभी पूजा जाता था
यह मानकर कि वो हैं बड़े और
महान ईश्वर से भी क्योंकि
वो दिखाते हैं मार्ग हमें
ईश्वर तक पहुँचने का,
जीवन से जुड़े अनेकों
गूढ़ तथ्यों को समझने का....
शायद बदल गया है अब
लोगों के जीवन का उद्देश्य
लोगों की प्राथमिकता,
अब नहीं चाहता है कोई
ईश्वर को पाना या उस तक पहुंचना
नहीं चाहता है कोई जीवन या
उससे जुड़े सत्य को समझना...
अब पद - प्रतिष्ठा एवं धन - ऐश्वर्य
येन - केन - प्रकारेण अर्जित सफलता
एवं सफल व्यक्तित्व करते हैं मार्गदर्शन
उन्हीं को मान लिया जाता है गुरु
उन्हीं को आदर्श - उन्हीं को शिक्षक.....
और प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस पर
बड़ी शान से कह दिया जाता है
अपने उसी शिक्षक से ही
कि "हैपी टीचर्स डे सर"......
- VISHAAL CHARCHCHIT
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