चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब
सूझे न कहीं गलियारा जब,
जब दुखों से घिर जाओ तुम
जब चैन कहीं ना पाओ तुम...
मन व्याकुल सा - तन व्याकुल सा
जीवन ही लगे शोकाकुल सा,
कोई मीत न हो - कोई प्रीत न हो
लगता जैसे कोई ईश न हो....
तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ
ईश्वर की परम सुकृति की तरफ,
देखो तो भला सागर की लहर
उठती - गिरती जाती है ठहर...
अनुभव तो करो शीतलता का
पुरवाई की कोमलता का,
तुम नयन रंगो हरियाली से
पुष्पों की सुगन्धित लाली से....
तुम गान सुनो तो कोयल का
बहती सरिता की कलकल का,
पंछी करते क्या बात सुनो
कहता है क्या आकाश सुनो....
निकालोगे निराशा के तम से
निकलो तो भला अपने तन से,
है आस प्रकाश भरा जग में
रंग लो हर क्षण इसके रंग में....
जो बीत गया सो बीत गया
तम से निकला वो जीत गया,
उस जीत का तुम अनुभव तो करो
अनुभव तो करो - अनुभव तो करो...
- VISHAAL CHARCHCHIT
छंदों की महिमा गजब, चर्चित यह सन्देश |
जवाब देंहटाएंकविता कर लो या पढो, ध्यान करो अनिमेष |
ध्यान करो अनिमेष, आत्म उत्थान जरुरी |
सच्चा व्यक्ति विशेष, होय अभिलाषा पूरी |
रचते पढ़ते छंद, सुने प्रभु उन बन्दों की |
सच्चा हो ईमान, बड़ी महिमा छंदों की ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
behad sundar vishal ji ..
जवाब देंहटाएं