बुधवार, अगस्त 24, 2011

पढने की फुर्सत नहीं क्या करें भाई लोग....

पढने की फुर्सत नहीं क्या करें भाई लोग
और कुछ कवियों को लगा छापा-छापी रोग....
छापा छापी रोग लगा जिसको भाई
नहीं पचेगा भोजन जो ना करें छपाई.....
इसीलिये कुछ होशियार लोगों ने रस्ता ढूंढा
'Like' बटन दबाकर करते पढ़ने का नाटक झूठा....
यही नहीं पॉकेट में रखते कुछ शब्द हैं रेडीमेड
जैसे Nice - Wow -Lovely -और Very Good - Great .....
ऐसी तारीफें सुन कवि महोदय
सातवें आसमान पर चढ़ जाते हैं
थोड़ी देर के लिए स्वयं को 'टैगोर' से ऊपर पाते हैं....

3 टिप्‍पणियां:

  1. विशाल भाई.... थोड़ी झूठी तसल्ली से दिल को तो बहलने दो आप...
    सारे सपने धाराशायी कर डाले आपने तो...

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  2. Janaab,ye facebook ka hai Zamana,
    Yahan bus lallo-chappi ka hai fasana,
    Asal se aaj sab door hi rahte,
    Nakkalon ko yahan na aazmana.

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