बहुत सुन्दर और मार्मिक ग़ज़ल।
प्रणाम एवं आभार सर... क्षमा करें सर इसे गजल नहीं बल्कि मुक्तक कहना सही रहेगा... क्योंकि इसमें गजल के उसूलों जैसे काफिया, रदीफ और बह्र आदि को नहीं निभाया गया है...
बहुत सुन्दर
धन्यवाद भाई जी
बहुत सुन्दर और मार्मिक ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंप्रणाम एवं आभार सर... क्षमा करें सर इसे गजल नहीं बल्कि मुक्तक कहना सही रहेगा... क्योंकि इसमें गजल के उसूलों जैसे काफिया, रदीफ और बह्र आदि को नहीं निभाया गया है...
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई जी
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