ना हर्ष हो न विषाद हो
ना द्वेष हो न तो राग हो,
ओ हृदय, हो तू भाव शून्य
तेरा शून्य प्रत्येक ही भाग हो...
ना स्वप्न हो न हो कल्पना
ना योजना न तो सर्जना,
हो मेरे मस्तिष्क सुप्त
हो सकल स्मृति ही लुप्त...
ना लक्ष्य हो न तो यात्रा
ना भार हो न तो मात्रा,
मेरी इंद्रियों, सब शिथिल हो
मेरे रोम रोम शिथिल हो...
ना श्वास हो न स्पंदना
ना ऊष्मा उत्सर्जना,
ओ मेरे जीवन, तू पा
मृत्यु की जीवंतता...
- विशाल चर्चित
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-05-2017) को
जवाब देंहटाएंसंघर्ष सपनों का ... या जिंदगी का; चर्चामंच 2629
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 05 जून 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 05 जून 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी
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