सारे कहते बच्चे ईश्वर
ईश्वर देखो बस्ता लेकर,
जाने की तैयारी में है
विद्यालय मुस्कान है लेकर...
नन्हे-नन्हे हाथों में अब
नन्ही-नन्ही पुस्तक होगी,
नन्हे-नन्हे स्लेट चॉक से
प्यारी-प्यारी बातें होंगी...
कख एबीसीडी होगी
मां मां पापा दादा नाना,
आड़े टेढ़े नक्शे होंगे
और साथ में गाना वाना...
मानो सब मामूली बातें
मानो तो आध्यात्म है इसमें,
'चर्चित'को तो दिखता अक्सर
ईश्वर खुद साक्षात है इसमें...
- विशाल चर्चित
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (27-06-2016) को "अपना भारत देश-चमचे वफादार नहीं होते" (चर्चा अंक-2385) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हृदय से आभार सर जी
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