गुमनामी से बौराये
एक बूढ़े नेता ने किया
विवाहित नवयौवना
के हाथ से
प्रेममय अमृतपान,
किया अपनी इस
तथाकथित विजय का ऐलान
जनता और मीडिया,
ने हाय तौबा मचाई
समस्त विश्व में
जमकर कु-ख्याति पाई
हुए अजर भी, और
शायद अमर भी...
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एक 'आम आदमी'
'खास आदमी' की तरह
झाड़ू से नाप रहा है दूरी
दिल्ली से वाराणसी की
देश मोह में या
सत्ता मोह में
ये तो पता नहीं, पर
गाली - थप्पड़ खाते हुए
और मुस्कुराते हुए...
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देश की करोड़ों
जनता का हाथ
रहा है करीब
सरसठ सालों से साथ,
अब इनका है हाथ
जनता के साथ,
जनता के मेहनत से
कमाये लाखों करोड़
खा जाने के लिए
पचा जाने के लिये...
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कह तो रहे हैं कि
लायेंगे राम राज्य,
और ये खिलायेंगे
खुशियों के कमल, पर-
चुनाव मे खर्च हुए
कई हजार करोड़,
वसूली के लिये कहीं
ये भी न दें
जनता को निचोड़...
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क्या हुआ जो हम हैं
एक क्षेत्रीय दल,
सरकार हो किसी की
अपना है समर्थन,
क्योंकि संसद में
अपने भी हैं
पच्चीस-तीस जन,
हम लूटेंगे - खायेंगे
या सरकार गिरायेंगे,
देश हित में
देश प्रेम के साथ...
- विशाल चर्चित
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-05-2014) को "फ़ुर्सत में कहां हूं मैं" (चर्चा मंच-1605) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हृदय से आभार सर !!!!
हटाएंसही हालत बयां कर दिए आपने ,सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत शुक्रिया सर जी !!!
हटाएंबहुत सीधी ...सरल सी बात ..
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