अब तक नहीं आयी
कहां तू लुकाई
भूख ने पेट में
हलचल मचाई
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
गयी जिस ओर
निगाह उस ओर
घर में तो जैसे
सन्नाटे का शोर
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
ये हरे भरे पत्ते
बैरी हैं लगते
कहते हैं मां गई
तेरी कलकत्ते
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
जल्दी से आओ
दाना ले आओ
इन सबके मुंह पे
ताला लगाओ
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
अब हम न मानेंगे
उड़ना भी जानेंगे
तेरे पीछे-पीछे हम
आसमान छानेंगे
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
- विशाल चर्चित
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें