माँ..........
नहीं समझ आई ये दुनिया मुझे
नहीं समझ आये ये रिश्ते मुझे
नहीं समझ आई ये ज़िन्दगी की
कभी धूप और कभी छाँव,
समझ आई तो सिर्फ एक तू
तेरा प्यार - तेरी ममता और
तेरे आँचल की सुहानी छाँव......
नहीं समझ आई ये दुनिया मुझे
नहीं समझ आये ये रिश्ते मुझे
नहीं समझ आई ये ज़िन्दगी की
कभी धूप और कभी छाँव,
समझ आई तो सिर्फ एक तू
तेरा प्यार - तेरी ममता और
तेरे आँचल की सुहानी छाँव......
समझ आया तो तेरे हाथों का
वो प्यारा स्पर्श - वो सहलाना,
मुझे हर अच्छा - बुरा समझाना
गुस्से में बस यूँ ही मुझे
न जाने किन किन नामों से बुलाना.....
आज हूँ बहुत दूर तुझसे फिर भी
फोन पर तेरी एक आवाज़ ही
बढ़ा देती मेरा उत्साह - मेरी ताकत,
इतनी मुश्किलों भरी है ज़िन्दगी
फिर भी जीने की एक चाहत......
सच कहूं, बहुत डर जाता हूँ मैं
अगर देख लूं कोई ऐसा सपना कि
तू नहीं है अब यहाँ मेरे साथ,
चली गयी है दूर - बहुत दूर मुझसे
शायद कहीं किसी दूसरी दुनिया में......
कांप जाता हूँ मैं सिर से पैर तक
कांप जाता हूँ सिर्फ इस एक ख़याल भर से ही
और नहीं हो पाता सामान्य तब तक
तब तक जब तक कि नहीं हो जाए तुमसे बात
नहीं हो जाए पक्का यकीन - पक्की तसल्ली कि
तुम हो एकदम ठीक - स्वस्थ और खुश......
तो बस यूँ ही हमेशा खुश दिखना
हमेशा खूब चुस्त - दुरुस्त तंदरुस्त दिखना,
वर्ना मेरी ठन जायेगी ईश्वर से -उसकी सत्ता से
क्योंकि मुझे नहीं मालूम कि
ईश्वर क्या है - कौन है - कैसा है
जब से आँख खुली है तुझे ही देखा है
तुझे ही जाना है - तुझे समझा है बस
तू ही है मेरे लिए ईश्वर - उसका हर रूप
मतलब तू नहीं तो ईश्वर भी नहीं.........
- VISHAAL CHARCHCHIT
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तू ही है मेरे लिए ईश्वर - उसका हर रूप
मतलब तू नहीं तो ईश्वर भी नहीं.........
बहुत भावपूर्ण ! बहुत सुंदर !
प्रिय बंधुवर विशाल चर्चित जी
सस्नेहाभिवादन !
मां के प्रति आपके मन के पावन विचार प्रभावित करने वाली रचना के रूप में मुखरित हुए हैं
सच कहूं, बहुत डर जाता हूं मैं
अगर देख लूं कोई ऐसा सपना कि
तू नहीं है अब यहां मेरे साथ…
मुझे भी कई बार अनायास ऐसा डर महसूस होता है …
मां से कुछ समय के लिए भी बिछड़ना स्वीकार न होने के कारण मैं राजस्थान से बाहर के कवि सम्मेलनों के सारे आमंत्रण अस्वीकार करता रहता हूं … राजस्थान में ही नजदीक कहीं जाता हूं तो अगले दिन जब तक घर न पहुंचूं मां बैठी इंतज़ार करती रहती है मेरी !
यह रिश्ता व्याख्या से परे होता है …
आपकी माताजी को मेरा प्रणाम ! उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना है …
हार्दिक शुभकामनाएं !
मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
अच्छा चित्रण किया है आप ने...सुन्दर प्रस्तुति... बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंतू ही है मेरे लिए ईश्वर - उसका हर रूप
जवाब देंहटाएंमतलब तू नहीं तो ईश्वर भी नहीं!
Bahut sundar abhivyati...
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसादर
sunder rachna..badhayi vishaal ji !!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति..
मां के लिए लिखा प्रत्येक शब्द दिल की आवाज़ ... उत्कृष्ट प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंपूरी तरह से स्नेहसिक्त और भावमय रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर