शनिवार, अगस्त 24, 2019

तुम्हें अवतरित फिर से होना पड़ेगा...



मंगलवार, अक्टूबर 02, 2018

मुक्तक गांधी जी और शास्त्री जी के लिये

आज के दिन दो महापुरुषों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती है.... दोनों को नमन करते हुए.... एक बार फिर से प्रस्तुत है मेरा इनके लिये लिखा गया मुक्तक....

महात्मा गांधी
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जो भी था तुम्हारे पास देश पर लुटा गए
हँसते-हँसते देश के लिए ही गोली खा गए,
यूं तो सभी जीते हैं अपने - अपने वास्ते
दूसरों के वास्ते तुम जीना सिखा गए....

लाल बहादुर शास्त्री
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तख़्त-ओ-ताज पा के भी आम आदमी रहे
कोशिश की हर जगह सिर्फ सादगी रहे,
करके दिखा दिया कि मुल्क साथ आएगा
शर्त मगर एक कि ईमान लाजमी रहे.....

- VISHAAL CHARCHCHIT

शुक्रवार, सितंबर 14, 2018

भारत माता की वाणी हिंदी से जुडा पावन अवसर...


भारत माता की वाणी
हिंदी से जुडा पावन अवसर,
आओ करें संकल्प करेंगे
इसका प्रयोग हर स्तर पर...

हम रहें कहीं भी नहीं भूलते
जैसे अपनी माँ को,
याद रखेंगे वैसे ही हम
हिंदी की गरिमा को...

इन्टरनेट पर जहाँ कहीं भी
अंग्रेजी हो मजबूरी,
वहाँ छोड़कर हो प्रयास कि
हिंदी से हो कम दूरी....

जाएँ विदेशों में भी तो
हम उन्हें सिखाकर आयें,
यही नहीं कि "हिन्दी दिवस" पर
खाली दें शुभकामनायें....

|| जय हिंद - जय हिन्दी ||

- विशाल चर्चित

अभी यही प्रभु सस्ता मोदक महंगाई मुंह बाये जब तक...



अभी यही प्रभु सस्ता मोदक
महंगाई मुंह बाये जब तक

अच्छे दिन जब आयेंगे
महंगा मोदक लायेंगे

करो कृपा कुछ तुम्हीं गजानन
विघ्न दूर हो आनन फानन

लाखों के कुछ काम बनें तो
थोड़ा हम भी नाम करें तो

दरियादिल हम दिखला देंगे
भारी मोदक भी ला देंगे

नेताओं से झूठे वादे
नहीं हमें हैं करने आते

सीधा सुनना - सीधा कहना
हर हालत में सीधे रहना

फिर भी कछुआ चाल जिन्दगी
ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी

तुम चाहो तो क्या मुश्किल है
चलकर आती खुद मंजिल है

'चर्चित' की चर्चा करवा दो
धन की भी वर्षा करवा दो

अच्छाई की जीत सदा है
ये सच फिर साबित करवा दो

- विशाल चर्चित

रविवार, अगस्त 26, 2018

ये राखी के धागे...

क्या अजीब खेल हैं ज़िंदगी के
कि एक ही कोख से जन्म लेते हैं
वर्षों एक छत के नीचे साथ रहते हैं
लड़ते हैं - झगड़ते हैं - रूठते हैं - मनाते हैं 
समझते हैं - समझाते हैं...

ढेर सारी चीजों पर -
ढेर सारी बातें करते हैं
हर सुख में - हर दुःख में
एक दूसरे का सहारा बनते हैं,
देखते ही देखते पता ही नहीं चलता 
और आता है एक दिन ऐसा भी कि 
न चाहते हुए भी बिछड़ जाते हैं हम...

बस रोते - बिलखते लाचार से 
हाथ हिलाते रह जाते हैं हम...
अब तो सिर्फ आवाज सुनाई देती है
या वर्षों बाद मिलना हो पाता है...

इस बीच अकेले में हमें जोड़े रखता है
हमारा प्यार - हमारे बचपन की यादें
कुछ परम्पराएं - कुछ संस्कार
और इनकी खुशबू से भीगे धागे,
ये राखी के धागे........

- VISHAAL CHARCHCHIT