चर्चित बाबा के चक्कर में
नटखट बाला हुई बीमार,
बाबा हैं साधू - सन्यासी
वो पूरी कलयुगी नार.....
बाबा जब भी धुनी रमाते
वो हो जाती है हाज़िर,
इधर - उधर से ढांप - ढूंप के
करने लगती कविता वार,
फिर भी बाबा ना बोलें जब
ध्यान तोड़ती सीटी मार.....
आप लोग ज्ञानी - ध्यानी सब
जल्दी कोई उपाय बताएं,
नहीं तो बाबा चले हिमालय
छोड़ - छाड़कर ये संसार.......
नटखट बाला हुई बीमार,
बाबा हैं साधू - सन्यासी
वो पूरी कलयुगी नार.....
बाबा जब भी धुनी रमाते
वो हो जाती है हाज़िर,
इधर - उधर से ढांप - ढूंप के
करने लगती कविता वार,
फिर भी बाबा ना बोलें जब
ध्यान तोड़ती सीटी मार.....
आप लोग ज्ञानी - ध्यानी सब
जल्दी कोई उपाय बताएं,
नहीं तो बाबा चले हिमालय
छोड़ - छाड़कर ये संसार.......
चर्चित बाबा,
जवाब देंहटाएंचंचल बाला |
शैतानों की
लगती खाला ||
प्रेम नजरजो
उसने डाला --
खतरे में है
कंठी माला ||
परचित बाबा
खोलो ताला |
नया ज़माना
खुद को ढाला |
अगर आपकी उत्तम रचना, चर्चा में आ जाए |
जवाब देंहटाएंशुक्रवार का मंच जीत ले, मानस पर छा जाए ||
तब भी क्या आनन्द बांटने, इधर नहीं आना है ?
छोटी ख़ुशी मनाने आ, जो शीघ्र बड़ी पाना है ||
चर्चा-मंच : 646
http://charchamanch.blogspot.com/
चाहे हिमालय जाइये...या और कहीं....शान्ति कहीं नहीं मिलेगी...भाई....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब्।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में भी आयें-
**मेरी कविता**
कविता बहुत अच्छी लगी |बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
बाबा तो सबको उपाय बतलाते
जवाब देंहटाएंउन्हे क्या कोई बताए उपाय..
सबको मोह ममता वो छुड़वाते
उनकी कौन छुड़ाय......
नटखट बाला से बचना
असंभव सा नज़र आता हैं..
क्यूंकी...कामिनी, कंचन, कीर्ति
इन तीनो से बचना प्रायः नामुमकिन
सा हो जाता हैं....
फिर भी बाबा चाहे तो अपनी
समाधि मे चले जाए.....
कन्या जब थक के चूर जाए...
उन्हे भूल जाए तब ....
समाधि से वापस आए..
वरना बाबा की सारी मेहनत
पानी मे चली जाएगी...
कन्या उन्हे फिर से जनम मरण
के चक्कर मे फसाएगी...
संसार हैं मिथ्या तो....
कन्या भी मिथ्या हैं...
क्या फसना कन्या मे..
ये तो बाबा के योग की परीक्षा हैं..
बाबा गर पास हुए तो भगवान मिलेगा..
गिर गये कन्या के चक्कर मे तो
बार बार जनम लेना पड़ेगा.....