एक देवी सी प्रकट हुई तुम
आई - छाई - चली गयी,
और - और करते रहे लोग
मुस्काई पर चली गई...
सूरत - सीरत दोनों साथ
मिल पाती है कितनों को,
एक नाम में इतनी खूबी
मिल पाती है कितनों को...
चार वर्ष में सपने गढ़ना
हो पाता है कितनों से,
एक जीवन ही सौ जीवन सा
हो पाता है कितनों से...
रोम - रोम बोले - थिरके
ऐसा अभिनय और कहां,
बच्ची बूढ़ी सब बन सकती
ऐसा अभिनय और कहां...
जैसे तुम सोयी हो कल
नींद आती है कितनों को,
जैसे तुम आसानी से गई
मौत आती है कितनों को...
मौत वही जो चुपके से हो
नींद आयी और उठे नहीं,
या फिर चोट लगी थोड़ी सी
बेहोशी और उठे नहीं...
खैर तुम्हारा खास था सब
आना - जीना और जाना,
काश कि ऐसा और हो सके
'श्री' बनकर ही फिर आना...
- विशाल चर्चित
ऐसा अभिनय और कहां,
बच्ची बूढ़ी सब बन सकती
ऐसा अभिनय और कहां...
जैसे तुम सोयी हो कल
नींद आती है कितनों को,
जैसे तुम आसानी से गई
मौत आती है कितनों को...
मौत वही जो चुपके से हो
नींद आयी और उठे नहीं,
या फिर चोट लगी थोड़ी सी
बेहोशी और उठे नहीं...
खैर तुम्हारा खास था सब
आना - जीना और जाना,
काश कि ऐसा और हो सके
'श्री' बनकर ही फिर आना...
- विशाल चर्चित