शुक्रवार, मार्च 28, 2014
रविवार, मार्च 23, 2014
इस देश को तो बस आम औरत चलायेगी.....
सुनो जी,
सुना है तुमने
चुनाव चिन्ह
हमारा झाड़ू चुना है?
हम भी
चुनाव चिन्ह
अपना बेलन चुने क्या?
सड़क पर सरेआम
तुम्हारे सिर पर
धुनें क्या?
गंदगी करो तुम
और सफाई करे हम?
झाड़ू ले के भर रहे
आम आदमी का दम?
घर तो संभलता नहीं
देश क्या सँभालोगे,
दो बच्चे तो पलते नहीं
करोड़ों तुम क्या पालोगे?
इस देश को तो बस
आम औरत चलायेगी,
संसद में ढंग से
अब चूल्हा जलायेगी...
नेता निकम्मों पे
अब चिमटा चलेगा,
मक्कारों के सिर पे
अब बेलन बजेगा...
सरकारी कचरे पे
झाड़ू लगा देंगे,
जहां दाग-धब्बे हों
पोछा लगा देंगे...
रिश्वत जमाखोरी
कालाबाजारी,
निपटेगी इनसे
अब सैन्डल हमारी...
हरामखोरी बंद अब
काम सब करेंगे,
अमीरों का कुछ हिस्सा
गरीबों के नाम करेंगे...
बातें भी खूब होंगी
काम भी खूब होगा,
देश के मेकअप का
तामझाम भी खूब होगा...
मंदिर और मस्जिद
के लफड़े जो होंगे,
जानलेवा नहीं
मुंह के झगड़े ही होंगे...
तू-तू-मैं-मैं करके
मुंह हम फुला लेंगे,
कभी खुश हुए तो
हम ही बुला लेंगे...
मोलभाव का जौहर हम
पूरी दुनिया में दिखायेंगे,
अपना सामान महँगा और
दूसरे का सस्ता हम करायेंगे...
भैया, बेटा, मुन्ना
और बाबू कर करके,
दिखा देंगे दुनिया पर
राज भी हम करके...
चर्चित तुम्हे इस मुहिम में
हमारे साथ रहना है,
कविताबाजी छोड़ो तुम्हें
कान्हा जैसा बनना है...
- विशाल चर्चित
मंगलवार, मार्च 18, 2014
चर्चित की मानो नशा मत ही छानो......
होली का रंग है
मिली इसमे भंग है
बुरा मानना मत
निश्छ्ल उमंग है
पीकर के पौवा
बना शेर कौवा
नशे मे खड़ा कर
दिया एक हौवा
किसी का दुपट्टा
जो लै भागा पट्ठा
दिया खींच करके
है गोरी ने चट्ठा
फिर भी न हारा
कीचड् दे मारा
कहा प्राणप्यारी
मैं प्रियतम तुम्हारा
वो बोली जाओ
हमें ना फंसाओ
उल्लू हो उल्लू
मुंह धो के आओ
बड़ा ढीठ बंदा
पकड़ करके कंधा
पहलवान माइन्ड
दिया एक रंदा
गर्दन अकड़ गई
चंडी सी चढ़ गई
बाला तो हाय कर
वहीं सीधी पड़ गई
जनता इकट्ठी
लिये हाथ लट्ठी
मजनूं की गीली
हुई अब तो चड्ढी
बड़ी मार खाई
पड़ा चारपाई
मुहब्बत ने हड्डी
की भूसी बनाई
सबक ये मिला है
कि जो मनचला है
उसी का मुसीबत
में हरदम गला है
चर्चित की मानो
नशा मत ही छानो
नहीं तो फंसोगे
बुरे खूब जानो...
/// होली मुबारक ///
- विशाल चर्चित
मिली इसमे भंग है
बुरा मानना मत
निश्छ्ल उमंग है
पीकर के पौवा
बना शेर कौवा
नशे मे खड़ा कर
दिया एक हौवा
किसी का दुपट्टा
जो लै भागा पट्ठा
दिया खींच करके
है गोरी ने चट्ठा
फिर भी न हारा
कीचड् दे मारा
कहा प्राणप्यारी
मैं प्रियतम तुम्हारा
वो बोली जाओ
हमें ना फंसाओ
उल्लू हो उल्लू
मुंह धो के आओ
बड़ा ढीठ बंदा
पकड़ करके कंधा
पहलवान माइन्ड
दिया एक रंदा
गर्दन अकड़ गई
चंडी सी चढ़ गई
बाला तो हाय कर
वहीं सीधी पड़ गई
जनता इकट्ठी
लिये हाथ लट्ठी
मजनूं की गीली
हुई अब तो चड्ढी
बड़ी मार खाई
पड़ा चारपाई
मुहब्बत ने हड्डी
की भूसी बनाई
सबक ये मिला है
कि जो मनचला है
उसी का मुसीबत
में हरदम गला है
चर्चित की मानो
नशा मत ही छानो
नहीं तो फंसोगे
बुरे खूब जानो...
/// होली मुबारक ///
- विशाल चर्चित
शनिवार, मार्च 08, 2014
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