रविवार, अप्रैल 30, 2017
शनिवार, अप्रैल 15, 2017
बुझे चराग जले हैं जो इस बहाने से...
बुझे चराग जले हैं जो इस बहाने से
बहुत सुकून मिला है तेरे फिर आने से
बहुत दिनों से अंधेरों में था सफर दिल का
इक आफताब के बेवक्त डूब जाने से
नया सा इश्क नयी सी है यूं तेरी रौनक
लगे कि जैसे हुआ दिल जरा ठिकाने से
चलो कि पा लें नई मंजिलें मुहब्बत की
बढ़ा हुआ है बहुत जोश चोट खाने से
कसम खुदा की तेरे साथ हम हुए चर्चित
जरा सा खुल के मुहब्बत में मुस्कुराने से
- VISHAAL CHARCHCHIT
रविवार, अप्रैल 02, 2017
तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ...
चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब
सूझे न कहीं गलियारा जब,
जब दुखों से घिर जाओ तुम
जब चैन कहीं ना पाओ तुम...
मन व्याकुल सा - तन व्याकुल सा
जीवन ही लगे शोकाकुल सा,
कोई मीत न हो - कोई प्रीत न हो
लगता जैसे कोई ईश न हो....
तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ
ईश्वर की परम सुकृति की तरफ,
देखो तो भला सागर की लहर
उठती - गिरती जाती है ठहर...
अनुभव तो करो शीतलता का
पुरवाई की कोमलता का,
तुम नयन रंगो हरियाली से
पुष्पों की सुगन्धित लाली से....
तुम गान सुनो तो कोयल का
बहती सरिता की कलकल का,
पंछी करते क्या बात सुनो
कहता है क्या आकाश सुनो....
निकालोगे निराशा के तम से
निकलो तो भला अपने तन से,
है आस प्रकाश भरा जग में
रंग लो हर क्षण इसके रंग में....
जो बीत गया सो बीत गया
तम से निकला वो जीत गया,
उस जीत का तुम अनुभव तो करो
अनुभव तो करो - अनुभव तो करो...
- VISHAAL CHARCHCHIT
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