रविवार, नवंबर 19, 2017
सोमवार, नवंबर 13, 2017
रविवार, नवंबर 05, 2017
आओ बैठो न अजनबी हो क्या...
मशहूर #शायर जॉन #ऍलिया के एक शेर के एक पंक्ति
' मुझसे मिलकर उदास भी हो क्या ' पर आधारित एक तरही #गजल...
ख्वाब में आये थे वही हो क्या
आओ बैठो न अजनबी हो क्या
सिर्फ गम ही मिले हैं किस्मत से
अब मिली जाके तुम खुशी हो क्या
मौत का इन्तजार था मुझको
और तुम मेरी जिन्दगी हो क्या
बनके आये तो थे खुशी लेकिन
मुझसे मिलकर उदास भी हो क्या
भाव इतना क्यों खा रहे चर्चित
तुम ही दुनिया में आखिरी हो क्या
- #विशाल #चर्चित
सोमवार, अक्टूबर 02, 2017
दूसरों के वास्ते तुम जीना सिखा गए....
आज के दिन दो महापुरुषों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती है.... दोनों को नमन करते हुए.... प्रस्तुत है मेरा इनके लिये लिखा गया मुक्तक....
महात्मा गांधी
:::::::::::::::::::::::::::::
जो भी था तुम्हारे पास देश पर लुटा गए
हँसते-हँसते देश के लिए ही गोली खा गए,
यूं तो सभी जीते हैं अपने - अपने वास्ते
दूसरों के वास्ते तुम जीना सिखा गए....
लाल बहादुर शास्त्री
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
तख़्त-ओ-ताज पा के भी आम आदमी रहे
कोशिश की हर जगह सिर्फ सादगी रहे,
करके दिखा दिया कि मुल्क साथ आएगा
शर्त मगर एक कि ईमान लाजमी रहे.....
- VISHAAL CHARCHCHIT
शनिवार, सितंबर 30, 2017
::::::::::::::: शुभ दशहरा :::::::::::::::::
////// अत्यन्त मंगलमय हो दशहरा //////
- ताकि आज के सारे रावणों का विनाश हो !!!
- ताकि धरा पर सुख - शान्ति का वास हो !!!
- ताकि कटुता व वैमन्स्य समूल नष्ट हो !!!
- ताकि दूर सदा सभी के सकल कष्ट हों !!!
- ताकि पुण्य जीत एवं पाप की हार हो !!!
- ताकि मानवता का पूर्ण सत्कार हो !!!
::::::::::::::: शुभ दशहरा :::::::::::::::::
शनिवार, सितंबर 23, 2017
////////////// जय माता दी //////////////
माँ के आशीर्वाद से नवरात्र मंगलकारी हो
मेरे सभी मित्रों के लिए हर्ष आनंदकारी हो,
सबके सारे सपने साकार हों एक - एक कर
आने वाला वर्ष ये विशेष कल्याणकारी हो...
////////////// जय माता दी //////////////
गुरुवार, सितंबर 14, 2017
|| जय हिंद - जय हिन्दी ||
भारत माता की वाणी
हिंदी से जुडा पावन अवसर,
आओ करें संकल्प करेंगे
इसका प्रयोग हर स्तर पर...
हम रहें कहीं भी नहीं भूलते
जैसे अपनी माँ को,
याद रखेंगे वैसे ही हम
हिंदी की गरिमा को...
इन्टरनेट पर जहाँ कहीं भी
अंग्रेजी हो मजबूरी,
वहाँ छोड़कर हो प्रयास कि
हिंदी से हो कम दूरी....
जाएँ विदेशों में भी तो
हम उन्हें सिखाकर आयें,
यही नहीं कि "हिन्दी दिवस" पर
खाली दें शुभकामनायें...
|| जय हिंद - जय हिन्दी ||
- विशाल चर्चित
रविवार, सितंबर 10, 2017
शुक्रवार, अगस्त 25, 2017
कोई इन्हें समझाओ, सरहद पर ले जाओ...
देश के करोड़ों युवा
छोड़-छाड़ कारोबार
हैं जीने-मरने को तैयार,
आशारामों और गुरुमीतों
के इर्द गिर्द ही
घूमता हुआ इनका संसार...
देश की बेचारी सरकार
इनके आगे हो रही लाचार,
लाखों की पुलिस फोर्स
इनको काबू करने में
हो रही है बेकार...
तमाम मीडिया वाले
कर दिया अपने को
इनके हवाले,
जहां देखो वहां
दिख रही बस इनकी ही खबरें,
इतनी है इनकी ताकत
बाप रे - बाप रे...
ऐसे में 'चर्चित' का
दिमाग भिन्नाया,
चीन और पाक का
इलाज नजर आया,
हर एक गुरुमीत समर्थक
मानव बम नजर आया...
कोई इन्हें समझाओ
सरहद पर ले जाओ,
दुश्मन देश की सीमा में
तिरंगा अपना फहराओ...
- विशाल चर्चित
अच्छे दिन जब आयेंगे महंगा मोदक लायेंगे...
अभी यही प्रभु सस्ता मोदक
महंगाई मुंह बाये जब तक
अच्छे दिन जब आयेंगे
महंगा मोदक लायेंगे
करो कृपा कुछ तुम्हीं गजानन
विघ्न दूर हो आनन फानन
लाखों के कुछ काम बनें तो
थोड़ा हम भी नाम करें तो
दरियादिल हम दिखला देंगे
भारी मोदक भी ला देंगे
नेताओं से झूठे वादे
नहीं हमें हैं करने आते
सीधा सुनना - सीधा कहना
हर हालत में सीधे रहना
फिर भी कछुआ चाल जिन्दगी
ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी
तुम चाहो तो क्या मुश्किल है
चलकर आती खुद मंजिल है
'चर्चित' की चर्चा करवा दो
धन की भी वर्षा करवा दो
अच्छाई की जीत सदा है
ये सच फिर साबित करवा दो
- विशाल चर्चित
बुधवार, अगस्त 23, 2017
शनिवार, अगस्त 05, 2017
शुक्रवार, जुलाई 28, 2017
चीनी सालों होश में आओ...
चीनी सालों होश में आओ वर्ना होश में ला देंगे
तेरी माँ की माँ को भी हम नानी याद दिला देंगे
गया ज़माना बात-बात पर हमको आँख दिखाते थे
और हिन्दुस्तानी हम सीधे सादे चुपचाप रह जाते थे
अब तो आँख दिखा के देखो सीधे आँख फोड़ देंगे
अग्नि पृथ्वी सारी मिसाइलें बीजिंग तक घुसेड देंगे
छोडो अरुणांचल-सिक्किम पर घडी-घडी दावा करना
जब देखो अपने धन-बल का रोज़ - रोज़ हौवा करना
अच्छा होगा इज्ज़त से हिमालय के उस पार ही रहना
अच्छा होगा अपनी छोटी सी चार फुटी औकात में रहना
वर्ना यहीं से बैठे - बैठे हम खोपड़ी तुम्हारी खोल देंगे
तुम चीनियों को हम शरबत जैसा पानी में घोल देंगे
इतराते हो जिस दीवार पे मिनटों में ध्वस्त हो जायेगी
हिरोशिमा-नागासाकी से भी भयानक तबाही हो जायेगी
पूरी दुनिया में अब भारत की शान का परचम लहराता है
बाप तुम्हारा अमरीका भी अब यहाँ आके दम हिलाता है
ताकतवर होने पर भी हम छोटे देशों को नहीं डराते हैं
शांतिप्रियता और भाईचारे के लिए हम "चर्चित" कहलाते हैं
- विशाल चर्चित
गुरुवार, जुलाई 20, 2017
सजदा हवा करे, मौसम नमाज हो...
हम भी वजू करें, तुम भी वजू करो
सजदा हवा करे, मौसम नमाज हो
HUM BHI WAJU KAREIN
TUM BHI WAJU KARO
SAJDA HAWAA KARE
MAUSAM NAMAAJ HO
- Vishaal Charchchit
सजदा हवा करे, मौसम नमाज हो
HUM BHI WAJU KAREIN
TUM BHI WAJU KARO
SAJDA HAWAA KARE
MAUSAM NAMAAJ HO
- Vishaal Charchchit
गुरुवार, जून 29, 2017
दरिया रहा कश्ती रही लेकिन सफर तन्हा रहा...
दरिया रहा कश्ती रही लेकिन सफर तन्हा रहा
हम भी वहीं तुम भी वहीं झगड़ा मगर चलता रहा
साहिल मिला मंजिल मिली खुशियां मनीं लेकिन अलग
खामोश हम खामोश तुम फिर भी बड़ा जलसा रहा
सोचा तो था हमने, न आयेंगे फरेबे इश्क में
बेइश्क दिल जब तक रहा इस अक्ल पर परदा रहा
शिकवे हुए दिल भी दुखा दूरी हुई दोनों में पर
हर बात में हो जिक्र उसका ये बड़ा चस्का रहा
छाया नशा जब इश्क का 'चर्चित' हुए कु्छ इस कदर
गर ख्वाब में उनसे मिले तो शहर भर चर्चा रहा
- विशाल चर्चित
बुधवार, जून 28, 2017
प्रेम का हो एक नया श्रृंगार अब...
आ प्रिये कि हो नयी
कुछ कल्पना - कुछ सर्जना,
आ प्रिये कि प्रेम का हो
एक नया श्रृंगार अब.....
तू रहे ना तू कि मैं ना
मैं रहूँ अब यूं अलग
हो विलय अब तन से तन का
मन से मन का - प्राणों का,
आ कि एक - एक स्वप्न मन का
हो सभी साकार अब....
अधर से अधरों का मिलना
साँसों से हो सांस का,
हो सभी दुखों का मिटना
और सभी अवसाद का,
आ करें हम ऊर्जा का
एक नया संचार अब.....
चल मिलें मिलकर छुएं
हम प्रेम का चरमोत्कर्ष,
चल करें अनुभव सभी
आनंद एवं सारे हर्ष,
आ चलें हम साथ मिलकर
प्रेम के उस पार अब....
ध्यान की ऐसी समाधि
आ लगायें साथ मिल,
प्रेम की इस साधना से
ईश्वर भी जाए हिल,
आ करें ऐसा अलौकिक
प्रेम का विस्तार अब....
- VISHAAL CHARCHCHIT
मंगलवार, जून 27, 2017
तू जो साथ है.....
तू जो साथ है दिन - रात है मेरी ज़िन्दगी सौगात है
तू जो एक पल को भी दूर हो हर बात फिर बेबात है
तू बसा है जबसे निगाह में लगे हर तरफ मुझे रौशनी
तू जो रूठ जाये अगर कभी तो फिर अश्कों की बरसात है
तू दिल हुआ धड़कन हुआ मेरी साँसों की थिरकन हुआ
तू जो है तो है ये वजूद अब नहीं बेवजह कायनात है
तू उतर चूका है लकीर में मेरी हाथों की कुछ इस कदर
तू जो मोड़ ले अब मुंह अगर लगे लुट चुकी ये हयात है
तू जुड़ा उड़ीं ख़बरें कई अजी लो गया अब तो 'विशाल'
तू हिला नहीं मेरे साथ से तो ख़बर में अपना ये साथ है
- विशाल चर्चित
सोमवार, जून 26, 2017
रविवार, जून 25, 2017
अपनी गलती पे भी ध्यान देते रहो...
होता है कई बार ऐसा
जब हम कहते कुछ हैं
लोग समझते कुछ हैं,
होता है कई बार ऐसा
जब हम लिखते कुछ हैं
लोग पढ़ते कुछ हैं,
होता है कई बार ऐसा
जब हम दिखाते कुछ हैं
और लोगों को दिखता कुछ है...
होता है इसका परिणाम ये कि-
नहीं मिलता अपेक्षित प्रतिसाद
नहीं मिलता अपेक्षित उत्तर
नहीं मिलती अपेक्षित प्रशंसा...
और हम संतुष्ट हो जाते हैं
ये सोचकर कि -
लोगों में समझ ही नहीं है
लोगों के खराब हो गये हैं कान
लोगों की खराब हो गयी हैं आँखें...
कभी ये नहीं सोचते कि -
हमारे कहने में ही रह गयी थी
हमसे ही हो गयी थी चूक
हमारा लिखा हुआ ही नहीं था सटीक
हमने दिखाया ही था गलत...
इसीतरह से विश्वास और भरोसा है
जब हम लगा बैठते हैं
आसानी से अपनों पर आरोप कि -
आपको मुझपर विश्वास नहीं है?
आप मुझपर शक कर रहे?
आपको मुझपर संदेह है?
कभी कोशिश भी नहीं करते
ये सोचने की कि -
क्यों टूटा उनका विश्वास
क्यों हुआ उनको हम पर शक
क्यों लगता है उन्हें
हमारा हर व्यवहार ही संदिग्ध...
क्या किया जाये
ईश्वर देता ही नहीं है
सबको इतना आत्मज्ञान
सबको इतना विवेक
कि कर सकें अपनी हर बात
हर व्यवहार की विवेचना
कर सकें अपना आत्ममंथन...
और यही है
अधिकांश दुखों का सार,
अधिकांश कलह-क्लेश का कारण
अधिकांश रिश्तों में विघटन की वजह...
क्योंकि -
सही हो सही भी दिखो तो सही
सच्चे हो सच्चे हरदम रहो तो सही
सच है तो सच को दिखाया करो
गलतफहमियाँ रिश्तों में मत बढ़ाया करो
अपनी गलती पे भी ध्यान देते रहो
दूसरों की सदा मत दिखाया करो...
-विशाल चर्चित
शुक्रवार, जून 23, 2017
कमजोर पड़ता दिख रहा अब 'देसी' च्यवनप्रास...
कर्म करके फल पायें
ये आम बात है,
कर्म कोई और करे
लेकिन फल पायें हम
ये खास बात है...
अध्यापक पढ़ाये और
हम मेहनत से पढ़ाई करें
परीक्षा में प्रश्नपत्र हल करें
और तब पास हों
ये आम बात है,
हम करें घुमाई अध्यापक पढ़ाये
वही हल करे प्रश्नपत्र परीक्षा में और
हम अच्छे अंकों से पास हो जायें
तो ये खास बात है...
बच्चे विद्यालय जायें
शिक्षक मन लगाकर पढ़ायें
अधिकांश बच्चे पास हो जायें
ये आम बात है,
बच्चे विद्यालय जायें
शिक्षक चुटकुले सुनायें
पढ़ने के लिये कोचिंग बुलायें
जो जाये कोचिंग सिर्फ वही हो पास
तो ये खास बात है...
महीने भर मेहनत से काम करें
और तब पायें तन्ख्वाह
ये आम बात है,
घर में बैठ कर भी लगे हाजिरी
और पायें मोटी तन्ख्वाह
तो ये खास बात है...
नौ महीने तक तमाम तकलीफें सहें
तब कहीं जाकर मातृत्व सुख मिले
ये आम बात है,
कोई और तकलीफें सहे
हमारी सेहत और सुन्दरता
ज्यों की त्यों बनी रहे
और मातृत्व सुख भी पा जायें
तो ये खास बात है...
हम करें अपराध
पुलिस आये पकड़्कर ले जाये
ये आम बात है,
हम करें अपराध और
हम ही पुलिस बुलायें
अपनी जगह किसी और को पकड़वायें
तो ये खास बात है...
हम पड़ें बीमार
डॉक्टर वसूले भारी फीस
और तब हो हमारा इलाज
ये आम बात है,
हम पड़ें बीमार
कोई और बिल चुकाये
हमारी एक किडनी
डॉक्टर चुपके से उसे थमाये
तो ये खास बात है...
अदालत में चले मुकदमा
सारे सबूत गवाह जुटायें
केस जीत जायें
ये आम बात है,
न गवाह न सबूत लायें
सीधे जज को पटायें
केस जीत जायें
तो ये खास बात है....
हमेशा करें अच्छे काम
हमेशा तारीफ पायें
चर्चित हो जायें
ये आम बात है,
हमेशा करें उल्टे सीधे काम
हमेशा खिंचाई करायें और
खूब चर्चा में आयें
तो ये खास बात है....
अब आप करें फैसला
बनना है आम या खास,
पर इतना जान लीजिये कि
कमजोर पड़ता दिख रहा
अब 'देसी' च्यवनप्रास...
- विशाल चर्चित
बुधवार, जून 21, 2017
शनिवार, जून 17, 2017
मानो तो मामूली सिक्का हो जाता है हजारों का...
जिधर देखो उधरहै दुख ही दुख,
जिसे देखो वही
है दुखी-है निराश,
क्योंकि उन्हें
नहीं आता सुखी होना,
उन्हें लगता है कि
गाड़ी-बंगला और
करोड़ों की कमाई को ही
कहते हैं सुखी होना...
लेकिन यदि ऐसा होता तो
नहीं दिखती मुस्कान कभी
किसी भी गरीब के चेहरे पर,
नहीं दिखते आंसू कभी
किसी अमीर के चेहरे पर...
लोग दुखी हैं क्योंकि
उनको चाहिये सब कुछ
अपनी ही पसंद का
अपने ही हिसाब से,
उससे कम पर तो
नहीं होना है कभी खुश
नहीं होना है कभी संतुष्ट...
सब कुछ छीन लेना है
सब कुछ झपट लेना है
सब कुछ हथिया लेना है,
ईश्वर-खुदा-गॉड या ऊपरवाला
तो जैसे है सिर्फ
आदेश सुनने के लिये ही,
ये आदेश होता है
पूजा के रूप में या
इबादत के रूप में
प्रार्थना के रूप में...
यदि हो गया अपने मन का
तो खुश कि देखा?
मैंने कर दिखाया न?!
मैं ये - मैं वो...
और जब नहीं होता
अपने मन का तब
शुरू होता है रोना
दूसरों की गलती पर
अपने भाग्य पर
या फिर ईश्वर पर...
लो सुनो एक उपाय
करके देखो एक प्रयोग
सुखी जीवन के लिये
शांतिमय हर पल के लिये
हमेशा मुस्कुराने के लिये...
सच में स्वीकार लो
ईश्वर की सत्ता को,
सीख लो स्वीकारना
अपनी हार को,
मान लो कि
तुम्हें कुछ नहीं है पता,
मान लो कि
नहीं है कुछ भी
तुम्हारे हाथ में और
छोड़ दो तर्क करना...
फिर करो महसूस
ईश्वर को-प्रकृति को
अपने भाग्य को
सुख को-सुकून को...
सार ये है कि -
सुख-दुःख है सब झूठी बातें
सारा खेल विचारों का,
मानो तो मामूली सिक्का
हो जाता है हजारों का...
- विशाल चर्चित
जिसे देखो वही
है दुखी-है निराश,
क्योंकि उन्हें
नहीं आता सुखी होना,
उन्हें लगता है कि
गाड़ी-बंगला और
करोड़ों की कमाई को ही
कहते हैं सुखी होना...
लेकिन यदि ऐसा होता तो
नहीं दिखती मुस्कान कभी
किसी भी गरीब के चेहरे पर,
नहीं दिखते आंसू कभी
किसी अमीर के चेहरे पर...
लोग दुखी हैं क्योंकि
उनको चाहिये सब कुछ
अपनी ही पसंद का
अपने ही हिसाब से,
उससे कम पर तो
नहीं होना है कभी खुश
नहीं होना है कभी संतुष्ट...
सब कुछ छीन लेना है
सब कुछ झपट लेना है
सब कुछ हथिया लेना है,
ईश्वर-खुदा-गॉड या ऊपरवाला
तो जैसे है सिर्फ
आदेश सुनने के लिये ही,
ये आदेश होता है
पूजा के रूप में या
इबादत के रूप में
प्रार्थना के रूप में...
यदि हो गया अपने मन का
तो खुश कि देखा?
मैंने कर दिखाया न?!
मैं ये - मैं वो...
और जब नहीं होता
अपने मन का तब
शुरू होता है रोना
दूसरों की गलती पर
अपने भाग्य पर
या फिर ईश्वर पर...
लो सुनो एक उपाय
करके देखो एक प्रयोग
सुखी जीवन के लिये
शांतिमय हर पल के लिये
हमेशा मुस्कुराने के लिये...
सच में स्वीकार लो
ईश्वर की सत्ता को,
सीख लो स्वीकारना
अपनी हार को,
मान लो कि
तुम्हें कुछ नहीं है पता,
मान लो कि
नहीं है कुछ भी
तुम्हारे हाथ में और
छोड़ दो तर्क करना...
फिर करो महसूस
ईश्वर को-प्रकृति को
अपने भाग्य को
सुख को-सुकून को...
सार ये है कि -
सुख-दुःख है सब झूठी बातें
सारा खेल विचारों का,
मानो तो मामूली सिक्का
हो जाता है हजारों का...
- विशाल चर्चित
शनिवार, मई 06, 2017
ओ मेरे जीवन तू पा मृत्यु की जीवंतता...
ना हर्ष हो न विषाद हो
ना द्वेष हो न तो राग हो,
ओ हृदय, हो तू भाव शून्य
तेरा शून्य प्रत्येक ही भाग हो...
ना स्वप्न हो न हो कल्पना
ना योजना न तो सर्जना,
हो मेरे मस्तिष्क सुप्त
हो सकल स्मृति ही लुप्त...
ना लक्ष्य हो न तो यात्रा
ना भार हो न तो मात्रा,
मेरी इंद्रियों, सब शिथिल हो
मेरे रोम रोम शिथिल हो...
ना श्वास हो न स्पंदना
ना ऊष्मा उत्सर्जना,
ओ मेरे जीवन, तू पा
मृत्यु की जीवंतता...
- विशाल चर्चित
शुक्रवार, मई 05, 2017
ख्वाब में ही सही रोज़ आया करो....
ख्वाब में ही सही रोज़ आया करो
मेरी रातों को रौशन बनाया करो
ये मुहब्बत यूँ ही रोज़ बढती रहे
इस कदर धड़कनें तुम बढ़ाया करो
मैं यहाँ तुम वहाँ दूरियां हैं बहुत
अपनी बातों से इनको मिटाया करो
मुझको प्यारा तुम्हारा है गुस्सा बहुत
इसलिए तुम कभी रूठ जाया करो
मुझे घेरें कभी मायूसियां जो अगर
बच्चों सी दिल को तुम गुदगुदाया करो
तुमको मालूम है लोग जल जाते हैं
नाम मेरा लबों पे न लाया करो
जुड़ गयी ज़िन्दगी इसलिए तुम भी अब
नाम के आगे चर्चित लगाया करो
- VISHAAL CHARCHCHIT
गुरुवार, मई 04, 2017
बच्चा नहीं चच्चा !!!!
जच्चा के पेट का जब
हुआ अल्ट्रासाउन्ड,
नर्स हिल गयी
अस्पताल हिल गया
देखा जब पेट के
अन्दर का बैकग्राउन्ड...
मां खुद देख रही थी
स्क्रीन पर आंखें फाड़,
जिसको समझी थी तिल
वो तो दिख रहा ताड़...
बच्चा नहीं ये चच्चा
दुनिया में आने से पहले ही
फेसबुक से यारी कर रहा,
अपने आने की खबर वाली
पोस्ट वाल पर जारी कर रहा...
बालक
क्या संकेत दे रहा है,
एक नये युग का सूत्रपात
किये दे रहा है...
मां बाप इस उम्र तक
जितना भी सीख पाये हैं,
लाल पेट में ही
वहां से आगे कदम बढ़ाये है...
सुनी होगी आप सबने
अभिमन्यु वाली कहानी,
मां की पेट में ही सीखा
चक्रव्यूह तोड़ डालना
अपने बाप की जुबानी...
ये किस्सा बहुत पुराना है
अब आया नया जमाना है
बच्चों के जरिये मां बाप को
अब अपना ज्ञान बढ़ाना है...
बच्चे स्कूल जाते हैं
न जाने क्या - क्या
सीख के आते हैं
और होम वर्क के जरिये
अपने मां बाप को सिखाते हैं,
लेकिन बात यहीं तक होती
तो कोई बात नहीं थी,
पर बात - बात पे अक्सर
अब तो उल्लू भी बनाते हैं...
इसलिये आंख खोल कर
होशो हवास में रहिये,
मां बाप बने रहना है तो
नया - नया सीखते रहिये,
वर्ना तो कल को केवल
पछताना रह जायेगा,
देखते ही देखते आपका बच्चा
आपका मां बाप बन जायेगा...
- विशान चर्चित
मंगलवार, मई 02, 2017
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
अब तक नहीं आयी
कहां तू लुकाई
भूख ने पेट में
हलचल मचाई
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
गयी जिस ओर
निगाह उस ओर
घर में तो जैसे
सन्नाटे का शोर
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
ये हरे भरे पत्ते
बैरी हैं लगते
कहते हैं मां गई
तेरी कलकत्ते
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
जल्दी से आओ
दाना ले आओ
इन सबके मुंह पे
ताला लगाओ
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
अब हम न मानेंगे
उड़ना भी जानेंगे
तेरे पीछे-पीछे हम
आसमान छानेंगे
माँ !...ओ माँ !!...ओ माँ !!!
- विशाल चर्चित
रविवार, अप्रैल 30, 2017
शनिवार, अप्रैल 15, 2017
बुझे चराग जले हैं जो इस बहाने से...
बुझे चराग जले हैं जो इस बहाने से
बहुत सुकून मिला है तेरे फिर आने से
बहुत दिनों से अंधेरों में था सफर दिल का
इक आफताब के बेवक्त डूब जाने से
नया सा इश्क नयी सी है यूं तेरी रौनक
लगे कि जैसे हुआ दिल जरा ठिकाने से
चलो कि पा लें नई मंजिलें मुहब्बत की
बढ़ा हुआ है बहुत जोश चोट खाने से
कसम खुदा की तेरे साथ हम हुए चर्चित
जरा सा खुल के मुहब्बत में मुस्कुराने से
- VISHAAL CHARCHCHIT
रविवार, अप्रैल 02, 2017
तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ...
चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब
सूझे न कहीं गलियारा जब,
जब दुखों से घिर जाओ तुम
जब चैन कहीं ना पाओ तुम...
मन व्याकुल सा - तन व्याकुल सा
जीवन ही लगे शोकाकुल सा,
कोई मीत न हो - कोई प्रीत न हो
लगता जैसे कोई ईश न हो....
तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ
ईश्वर की परम सुकृति की तरफ,
देखो तो भला सागर की लहर
उठती - गिरती जाती है ठहर...
अनुभव तो करो शीतलता का
पुरवाई की कोमलता का,
तुम नयन रंगो हरियाली से
पुष्पों की सुगन्धित लाली से....
तुम गान सुनो तो कोयल का
बहती सरिता की कलकल का,
पंछी करते क्या बात सुनो
कहता है क्या आकाश सुनो....
निकालोगे निराशा के तम से
निकलो तो भला अपने तन से,
है आस प्रकाश भरा जग में
रंग लो हर क्षण इसके रंग में....
जो बीत गया सो बीत गया
तम से निकला वो जीत गया,
उस जीत का तुम अनुभव तो करो
अनुभव तो करो - अनुभव तो करो...
- VISHAAL CHARCHCHIT
रविवार, मार्च 19, 2017
दोनों की तूफानी शैली बड़ा बवंडर लायेगी...
सभी विरोधी परेशान थे
एक अकेले मोदी से,
अब बेचारों का क्या होगा
कैसे निपटेंगे योगी से...
दोनों की तूफानी शैली
बड़ा बवंडर लायेगी,
चोर-उचक्कों-गुंडों को
अब नानी याद दिलायेगी...
यूपी में सुख-शांति-तरक्की
का परचम लहरायेगा,
वहां की जनता के चेहरों पर
नई मुस्कुराहटें लायेगा...
जाति-धर्म से ऊपर उठकर
न्याय करेंगे योगी जी,
देश-राज्य के विधि-विधान का
मान रखेंगे योगी जी....
इसी आशा और विश्वास के साथ
बीजेपी - मोदीजी - योगी जी
एवं यूपी की समस्त जनता जनार्दन
को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें
सोमवार, मार्च 13, 2017
चिमटा चला के मारा, बेलन घुमा के मारा...
चिमटा चला के मारा, बेलन घुमा के मारा
फिर भी बचे रहे तो, भूखा सुला के मारा
बरसों से चल रहा है, दहशत का सिलसिला ये
बीवी ने जिंदगी को, दोजख बना के मारा
कैसे बतायें कितनी मनहूस वो घडी थी
इक शेर को है जिसने शौहर बना के मारा
वैसे तो कम नहीं हैं हम भी यूं दिल्लगी में
उसपे निगाह अक्सर उससे बचा के मारा
चर्चित को यूं तो दिक्कत, चर्चा से थी नहीं पर
बीवी ने आशिकी को मुद्दा बना के मारा
- विशाल चर्चित
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा...
हमने फेंका गुब्बारा है भरके कई रंग
आओ होली खेलें दोस्तों शुभकामना के संग
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......
खुशियों की अबीर बरसे और बरसे ढेरों प्यार
जीवन में सबके हो हमेशा हँसती हुई बहार
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......
जो, जो चाहे - वो, वो पाये, कोई चाहत ना बच पाये
जब देखें-जिसको देखें हम - हँसता हुआ नजर आये
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......
धन-दौलत-इज्जत-शोहरत, कहीं कमी कोई ना हो
हे ईश्वर, कुछ ऐसा कर कि दीन दुखी कोई ना हो
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......
सभी जगह हो अमन - चैन, एकता औ भाईचारा हो
सभी दिलों में मानवता - नैतिकता का बोलबाला हो
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......
'चर्चित' की है चाह यही, हरा - भरा सुखमय संसार
यही कुदरती रंग है सच्चा, होली का असली शृंगार
जोगीरा सारारारारा - जोगीरा सारारारारा......
एक बार फिर से -
/////// होली बहुत - बहुत मुबारक ///////
बुधवार, मार्च 08, 2017
महिला दिवस पर एक खास रचना...
हे नारी तू सागर है...
हे नारी तू सागर है
जहां नदियाँ मिलतीं आकर हैं
पुरुष समझता आधा - पौना
कहे घरेलू गागर है...
जिसने भाँप लिया रत्नों को
तेरे आँचल के साए में,
सही अर्थ में समझो उसका
देवी - देवताओं का घर है...
फ़र्ज़ - धर्म और संस्कार
बचपन से साथ लिए चलती,
इन सीमाओं के बावजूद
उन्नति करती तू अक्सर है...
पुरुष उलझ जाता अक्सर
दुनियादारी के पचड़ों में,
पर तेरे लिए तो घर - परिवार
सारी दुनिया से बढ़कर है...
नौ माह तक अपने खून से
सींच-सींच देती आकार,
फिर सहती पीड़ा अथाह
तब आता बच्चा धरती पर है...
धन्य तेरी ये सहनशीलता
ऋणी तेरा संसार सकल,
हे नारी, तुझको "चर्चित" का
श्रद्धा से भरपूर नमन है...
- विशाल चर्चित
हे नारी तू सागर है
जहां नदियाँ मिलतीं आकर हैं
पुरुष समझता आधा - पौना
कहे घरेलू गागर है...
जिसने भाँप लिया रत्नों को
तेरे आँचल के साए में,
सही अर्थ में समझो उसका
देवी - देवताओं का घर है...
फ़र्ज़ - धर्म और संस्कार
बचपन से साथ लिए चलती,
इन सीमाओं के बावजूद
उन्नति करती तू अक्सर है...
पुरुष उलझ जाता अक्सर
दुनियादारी के पचड़ों में,
पर तेरे लिए तो घर - परिवार
सारी दुनिया से बढ़कर है...
नौ माह तक अपने खून से
सींच-सींच देती आकार,
फिर सहती पीड़ा अथाह
तब आता बच्चा धरती पर है...
धन्य तेरी ये सहनशीलता
ऋणी तेरा संसार सकल,
हे नारी, तुझको "चर्चित" का
श्रद्धा से भरपूर नमन है...
- विशाल चर्चित
शनिवार, फ़रवरी 25, 2017
'चर्चित' को फिर 'मुन्ना' करते...
काश वे पल फिर से आते
वही मेघ घिर के आते
मीठे - मीठे बचपन वाले
नाजुक - नाजुक से मन वाले
वही उछलना - वही फुदकना
वही शरारत - वही चहकना
वही बेफिक्री - वही मस्तियां
वही ख्वाबों वाली बस्तियां
लेकिन कहां ये हो पाता है
समय पुराना कहां आता है
रह जाती हैं केवल यादें
रह जाती हैं केवल बातें
तस्वीरों में रखे हुए पल
हमें निहारें बीत गये कल
कहते चलो सैर पर चलते
जहां सुनहरे दिये हैं जलते
दिल में नया जोश जो भरते
'चर्चित' को फिर 'मुन्ना' करते...
- विशाल चर्चित
बुधवार, फ़रवरी 15, 2017
गुरुवार, फ़रवरी 09, 2017
बड़ी गहरी आती है नींद जब पता हो कि कोई है...
बड़ी गहरी आती है नींद
जब पता हो कि कोई है
समय से जगा देने वाला,
बढ़ जाता है खाने का जायका
'आपको भूख लगी होगी'
जब कोई हो ये बता देने वाला...
अच्छा लगता है भूल जाना
तमाम चीजों का भी
जब कोई हो हमारी
हर चीज को याद रखनेवाला,
हो ही जाते हैं थोड़े से लापरवाह हम
जब कोई हो हमारी फिक्र करने वाला...
कई बार यूं ही
मन करता है लड़खड़ाने का
जब हो कोई संभाललेने वाला,
आ ही जाती है मुसीबतों पर भी हंसी
जब पता हो कि कोई है
हमें उनसे भी निकाल लेनेवाला...
बिना बात के भी आ जाता है रोना
जब कोई हो आंसू पोछनेवाला,
दिमाग हो जाता है शून्य सा
जब कोई हो हमसे भी ज्यादा
हमारे बारे में सोचनेवाला...
बदल जाते हैं जिन्दगी के मायने ही
जब कोई हो हमारे लिये ही
चुपचाप जिये जानेवाला,
थोड़ा तो गुरूर आ ही जाता है
जब कोई हो अपना सबकुछ
हम पर निसार किये जाने वाला...
- विशाल चर्चित
सोमवार, जनवरी 30, 2017
शुक्रवार, जनवरी 27, 2017
कितना सुन्दर मौसम - मौसम दिल ने छेड़ी सरगम-सरगम
कितना सुन्दर मौसम - मौसम
दिल ने छेड़ी सरगम-सरगम
आओ चिड़ियों झूमो - नाचो
छमछम-छमछम-छमछम-छमछम
सूरज गाये - चंदा गाये
पूरी कुदरत सुर में आये
फूलों का भी मन यूँ ललचे
खुश होकर खुशबू बरसायें
गमगम-गमगम-गमगम-गमगम
छोड़ो सारी दुनियादारी
आओ हमसे कर लो यारी
अपने हर पल को तुम कर लो
रौशन करने की तैयारी
पूनम-पूनम-पूनम-पूनम
हर कोई बच्चा बन जाये
रोना धोना कम हो जाये
सुख ही क्या दुःख पर भी फिर तो
हौले से हँसना आ जाये
मद्धम - मद्धम - मद्धम - मद्धम
- विशाल चर्चित
दिल ने छेड़ी सरगम-सरगम
आओ चिड़ियों झूमो - नाचो
छमछम-छमछम-छमछम-छमछम
सूरज गाये - चंदा गाये
पूरी कुदरत सुर में आये
फूलों का भी मन यूँ ललचे
खुश होकर खुशबू बरसायें
गमगम-गमगम-गमगम-गमगम
छोड़ो सारी दुनियादारी
आओ हमसे कर लो यारी
अपने हर पल को तुम कर लो
रौशन करने की तैयारी
पूनम-पूनम-पूनम-पूनम
हर कोई बच्चा बन जाये
रोना धोना कम हो जाये
सुख ही क्या दुःख पर भी फिर तो
हौले से हँसना आ जाये
मद्धम - मद्धम - मद्धम - मद्धम
- विशाल चर्चित
गुरुवार, जनवरी 26, 2017
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ ......
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इस गणतंत्र दिवस के अवसर पर सभी मित्रों को हार्दिक बधाई देते हुए शुभकामनाएँ ......
कामना है कि देश के संविधान - उसके नियमों पर सच्चे दिल से अमल किया जाये
कामना है कि देश के तमाम कानूनों का हमेशा पूरी ईमानदारी से पालन किया जाये
कामना है कि लिंग-वर्ग-जाति तथा धर्म के आधार पर देश का बंटवारा न किया जाये कामना है कि देश से जुड़े दिनों को सिर्फ एक उत्सव-एक जश्न के रूप में न लिया जाये
/////// जय हिंद - वंदेमातरम ///////
बुधवार, जनवरी 25, 2017
चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब....
चहुँ ओर दिखे अंधियारा जब
सूझे न कहीं गलियारा जब,
जब दुखों से घिर जाओ तुम
जब चैन कहीं ना पाओ तुम...
मन व्याकुल सा - तन व्याकुल सा
जीवन ही लगे शोकाकुल सा,
कोई मीत न हो - कोई प्रीत न हो
लगता जैसे कोई ईश न हो....
तब ध्यान करो प्रकृति की तरफ
ईश्वर की परम सुकृति की तरफ,
देखो तो भला सागर की लहर
उठती - गिरती जाती है ठहर...
अनुभव तो करो शीतलता का
पुरवाई की कोमलता का,
तुम नयन रंगो हरियाली से
पुष्पों की सुगन्धित लाली से....
तुम गान सुनो तो कोयल का
बहती सरिता की कलकल का,
पंछी करते क्या बात सुनो
कहता है क्या आकाश सुनो....
निकालोगे निराशा के तम से
निकलो तो भला अपने तन से,
है आस प्रकाश भरा जग में
रंग लो हर क्षण इसके रंग में....
जो बीत गया सो बीत गया
तम से निकला वो जीत गया,
उस जीत का तुम अनुभव तो करो
अनुभव तो करो - अनुभव तो करो...
- VISHAAL CHARCHCHIT
सोमवार, जनवरी 23, 2017
उसकी घड़ी है बहुत बड़ी...
उसकी घड़ी
है बहुत बड़ी
दिखती है थोड़ी सुस्त
पर चलती है लगातार...
उसके कैमरे
छिपे हैं कण - कण में,
रखते हैं नजर
चप्पे - चप्पे पर
बिना रुके - बिना थके...
उसके एक - एक ऐप्स
हैं एकदम मुश्तैद
एकदम सजग
करते रहते हैं अपना काम
चुपचाप, बिना किसी शोर के...
इसलिये उससे चालाकी
उसकी आंख में धूल झोंकना
पड़ता है बहुत महंगा...
उधर उसकी एक कमांड
इधर सबकुछ या
कुछ बहुत खास
हो जाता है 'डिलीट'
यानी साफ...
या होने लगता है
कहीं - कुछ 'हैंग'
यानी चलने लगता है
रुक - रुककर
अटक - अटक कर...
यही है उसका न्याय
यही है उसकी सत्ता,
वो है हर समय - हर जगह
क्या हुआ जो नहीं है दिखता...
- विशाल चर्चित
रविवार, जनवरी 22, 2017
बढ़ते विकल्प और भ्रमित जीवन...
बढ़ते विकल्प
सबकुछ की लालसा
और भ्रमित जीवन...
विषयों की भीड़
प्रसाद सी शिक्षा
ढेर सारा अपूर्ण ज्ञान...
उत्सवों की भरमार
बढती चमक दमक
घटता आनंद...
व्यंजनों की कतारें
खाया बहुत कुछ
फिर भी असंतुष्टि...
सैकड़ों चैनल
दिन-रात कार्यक्रम
पर मनोरंजन शून्य...
रिश्ते ही रिश्ते
बढ़ती औपचारिकता
और घटता अपनापन...
अनगिनत नियम कानून
बढ़ते दाँव - पेच
और बढ़ता भ्रष्टाचार...
फलती-फूलती बौद्धिकता
सूखते-सिकुड़ते हृदय
और दूभर होती श्वास...
अनेकों सूचना माध्यम
सुगम होती पहुँच
फिर भी घटता संपर्क...
फैलती तकनीक
बढ़्ती सुविधायें
घटती सुख-शान्ति...
हजारों से जुड़ाव
सैकड़ों से बातचीत
फिर भी अकेले हम...
- विशाल चर्चित
शनिवार, जनवरी 21, 2017
पेट भरा हो तो बहुत मिल जाते हैं...
पेट भरा हो तो
बहुत मिल जाते हैं
खिलाने वाले,
प्यास ना हो तो
बहुत मिल जाते है
प्यास बुझानेवाले,
नींद पूरी हो तो
बहुत मिल जाते हैं
लोरियां सुनानेवाले,
रास्ता पता हो तो
बहुत मिल जाते हैं
बताने वाले,
आता हो गिर के उठना तो
बहुत मिल जाते हैं
हाथ पकड़ के उठानेवाले...
पर नहीं भूलना चाहिये
वो वक्त जबकि
हम थे भूखे - हम थे प्यासे
नहीं आ रही थी हमें नींद
भटक रहे थे हम
सही रास्ते की तलाश में
चाहिये था किसी का सहारा
संभलने के लिये-उठने के लिये,
पर नहीं था किसी का साथ
नहीं था किसी का सहारा
नहीं था किसी का आसरा
नहीं थी किसी की आस
नहीं था कोई अपने पास...
वक्त आता है - जाता है
अक्सर हमें आजमाता है
खट्टे मीठे अनुभवों की
सौगातें दे जाता है,
चमकीली चीजें आती है
लुभाती हैं - ललचाती हैं,
लेकिन वक्त आने पर
धोखा दे जाती हैं,
सच्चे रिश्ते तो होते हैं वे
जो न घुमाते हैं - न फिराते हैं
न बहलाते हैं - न फुसलाते हैं
रहें चाहे कहीं भी पर
वक्त पर काम आते हैं
हमेशा साथ नजर आते है...
जिसने ये मर्म समझा
सिर्फ वो ही मुस्कुराता है,
वर्ना तो जिसे देखो
भटकता सा नजर आता है....
- विशाल चर्चित
बहुत मिल जाते हैं
खिलाने वाले,
प्यास ना हो तो
बहुत मिल जाते है
प्यास बुझानेवाले,
नींद पूरी हो तो
बहुत मिल जाते हैं
लोरियां सुनानेवाले,
रास्ता पता हो तो
बहुत मिल जाते हैं
बताने वाले,
आता हो गिर के उठना तो
बहुत मिल जाते हैं
हाथ पकड़ के उठानेवाले...
पर नहीं भूलना चाहिये
वो वक्त जबकि
हम थे भूखे - हम थे प्यासे
नहीं आ रही थी हमें नींद
भटक रहे थे हम
सही रास्ते की तलाश में
चाहिये था किसी का सहारा
संभलने के लिये-उठने के लिये,
पर नहीं था किसी का साथ
नहीं था किसी का सहारा
नहीं था किसी का आसरा
नहीं थी किसी की आस
नहीं था कोई अपने पास...
वक्त आता है - जाता है
अक्सर हमें आजमाता है
खट्टे मीठे अनुभवों की
सौगातें दे जाता है,
चमकीली चीजें आती है
लुभाती हैं - ललचाती हैं,
लेकिन वक्त आने पर
धोखा दे जाती हैं,
सच्चे रिश्ते तो होते हैं वे
जो न घुमाते हैं - न फिराते हैं
न बहलाते हैं - न फुसलाते हैं
रहें चाहे कहीं भी पर
वक्त पर काम आते हैं
हमेशा साथ नजर आते है...
जिसने ये मर्म समझा
सिर्फ वो ही मुस्कुराता है,
वर्ना तो जिसे देखो
भटकता सा नजर आता है....
- विशाल चर्चित
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