सच कितना भी ऊंचे उड़े कोई गगन में, पर दाना तो मिलेगा उसे जमीं पर ही बहुत सुन्दर
कविता जी आपका हृदय से आभार।
दिल से शुक्रिया भाई जी।
सच कितना भी ऊंचे उड़े कोई गगन में, पर दाना तो मिलेगा उसे जमीं पर ही
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
कविता जी आपका हृदय से आभार।
हटाएंदिल से शुक्रिया भाई जी।
जवाब देंहटाएं