रविवार, अगस्त 15, 2021
नमन् उन्हें जो आजादी की खातिर सबकुछ भूल गये...
नमन् उन्हें जो आजादी की
खातिर सबकुछ भूल गये,
हँसते-हँसते 'जय हिन्द' बोला
और फाँसी पर झूल गये...
नमन् उन्हें जो सबकुछ था पर
देश की खातिर छोड़ दिया,
आजादी दी, सत्ता सौंपी
और दुनिया को छोड़ दिया...
नमन् उन्हें कि जो सीमा पर
प्रहरी बनकर रहते हैं,
देश सुरक्षित रहे इसलिये
हर दुख सहते रहते हैं...
नमन् उन्हें जो गश्त पे रहते
हर मौसम - हर हाल में,
जो समा गये जनता की ख़ातिर
स्वयं काल के गाल में...
नमन् उन्हें जो देश को लाये
आजादी के बाद यहाँ तक,
मुश्किल हालातों से उबारा
आबादी को आज यहाँ तक...
नमन् उन्हें जो देश का परचम
दुनिया में लहरा आये,
नमन् उन्हें जो अंतरिक्ष में
अपना तिरंगा फहरा आये...
नमन् उन्हें जो अपने क्षेत्र में
अर्जित करते सदा विशेष,
नमन् उन्हें जो देश को हर दिन
अर्पित करते सदा विशेष...
नमन् उन्हें जो करते कार्य
जाति-धर्म से ऊपर उठकर,
कोई मुसीबत में हो दौड़ते
निज स्वार्थों से ऊपर उठकर...
नमन् उन्हें जो अपने अलावा
और्रों के बारे में सोचते,
चाहे जैसे भी हो देश को
सुदृढ़ करते और जोड़ते...
नमन् उन्हें जो ये 'चर्चित' का
संदेश पढ़ेंगे - सोचेंगे,
देश की ख़ातिर सही मार्ग पर
पूरे जोश से हो लेंगे...
जय हिंद - जय भारत
..... वंदे मातरम .....
- विशाल चर्चित
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (16-08-2021 ) को 'नूतन के स्वागत-वन्दन में, डूबा नया जमाना' ( चर्चा अंक 4158 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
जी लाजवाब। सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएं