सोनू यार मोनू यार
बारिश कितनी अच्छी यार,
मम्मी बोली नहीं भीगना
छतरी कितनी छोटी यार...
चल कागज की नाव बनायें
पानी में उसको तैरायें,
तितली रानी को भी उसमें
बिठा के दोनों सैर करायें...
अरे देख तो वो है चींटा
चींटे पर चल मारें छींटा,
अच्छा बेचारे को छोड़
आ हम दोनों खायें पपीता...
वाह मस्त क्या हरियाली है
लगता जैसे खुशहाली है,
ठंडी-ठंडी हवा बह रही
दिल को खुश करने वाली है...
पापा कहते पढ़-पढ़-पढ़
होता जा रहा तू मनबढ़,
कीचड़-पानी में मत खेल
नये बहाने तू मत गढ़...
पापा को कैसे समझायें
हम बच्चे कैसे बंध जायें,
बारिश हो और हम ना भीगें
क्या हम भी पापा बन जाये?
- विशाल चर्चित
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वाह
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई जी...
हटाएंबहुत खूब यार !
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते, आपका हृदय से आभार... मैं अभी उपस्थित होता हूँ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब रचना है...।
जवाब देंहटाएंवाह! सरल सरस बच्चों सी मासूम बाल कविता।
जवाब देंहटाएंमोहक और बचपन की तरफ लेकर जाती सी।
बहुत ही सुंदर🌻♥️
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